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अन्‍नाद्रमुक विवाद: मद्रास हाइकोर्ट का फैसला, पलानीस्‍वामी होंंगेे पार्टी के सर्वोच्‍च नेता

अन्‍नाद्रमुक विवाद मद्रास उच्च न्यायालय ने आज अपने फैसले में पलानीस्‍वामी को पार्टी का सर्वोच्‍च नेता करार दिया है। 11 जुलाई की जनरल मीटिंग में लिए गए फैसले को सही ठहराया है। इससे AIADMK नेता पनीरसेल्वम को करारा झटका लगा है।

By Arijita SenEdited By: Published: Fri, 02 Sep 2022 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 02 Sep 2022 01:28 PM (IST)
कोर्ट के फैसले के साथ पलाानीस्‍वामी होंगे AIADMK के सर्वोच्‍च नेता

चेन्‍नई, एजेंसी। अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कष़गम (अन्नाद्रमुक) के नेतृत्‍व पर जारी विवाद को कोर्ट ने आज विराम लगा दिया है। मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने इस मुद्दे पर आज फिर से सुनवाई की और पलानीस्‍वामी (Palaniswami) को पार्टी के अंतरिम महासचिव माने जाने वाले आम परिषद की बैठक के फैसले को सही ठहराया। जाहिर है कि इससे AIADMK नेता पनीरसेल्वम को करारा झटका लगा है।

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मालूम हो कि पार्टी ने 11 जुलाई को आम परिषद की बैठक बुलाई थी, जिसमें यह फैसला लिया गया था कि विपक्ष के नेता पलानीस्‍वामी AIADMK के अंतरिम महासचिव होंगे और वहीं पनीरसेल्‍वम (Panneerselvam) को पार्टी से बाहर कर दिया गया। पनीरसेल्‍वम ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस बीच पलानीस्‍वामी ने पार्टी में सिंगल लीडरशिप की अपील की थी।

कोर्ट ने 17 अगस्त के फैसले को किया खारिज

शुक्रवार को न्यायमूर्ति एम दुरईस्वामी और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की खंडपीठ ने इसकी पुन: सुनवाई की और पलानीस्वामी की अपील को स्वीकार करते हुए 17 अगस्त को न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन की एकल पीठ के सुनाए गए फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें बैठक को अवैध करार दिए जाने के साथ ही गुटों को 23 जून की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश के साथ-साथ पलानीस्‍वामी के चुनाव को भी रद्द कर दिया था।

पलानीस्‍वामी AIADMK के सर्वोच्‍च नेता तय

कोर्ट के इसी नए फैसले के साथ अब यह तय हो गया है कि पलानीस्‍वामी ही पलानीस्‍वामी ही पार्टी के सर्वोच्‍च नेता बने रहेंगे। मालूम हो कि साल 2016 में अन्‍नाद्रमुक पार्टी की प्रमुख जयललिता के निधन के बाद पार्टी और सरकार में एक दोहरे नेतृत्‍व की शुरुआत हुई थी। इसके तहत जहां पलानीस्‍वामी मुख्‍यमंत्री बने, तो उप मुख्‍यमंत्री के पद पर पनीरसेल्‍वम आसीन हुए। जहां पनीरसेल्‍वम को समन्‍वयक बनाया गया, वहीं पलानीस्‍वामी को संयुक्‍त समन्‍वयक की जिम्‍मेदारी दी गई।

हालांकि समय के साथ-साथ पार्टी के इन दोनों वफादारों के रिश्‍ते में खटास आ गई और पार्टी पर प्रभुत्‍व को लेकर जुलाई आम परिषद की बैठक बुलाई गई।


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