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का‍रगिल युद्ध में जिनेवा एक्ट के कारण पायलट नचिकेता को पाक ने आठ दिन बाद छोड़ा

कारगिल युद्ध के दौरान ग्रुप कैप्टन कमबमपति नचिकेता को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था उस समय नचिकेता फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 08:22 PM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 12:57 AM (IST)
का‍रगिल युद्ध में जिनेवा एक्ट के कारण पायलट नचिकेता को पाक ने आठ दिन बाद छोड़ा
का‍रगिल युद्ध में जिनेवा एक्ट के कारण पायलट नचिकेता को पाक ने आठ दिन बाद छोड़ा

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के पाकिस्तान के बंदी बनाने पर 20 साल पहले कारगिल युद्ध के दौरान हुआ ऐसा ही वाकया हर किसी के जेहन में ताजा हो गया है। ग्रुप कैप्टन कमबमपति नचिकेता को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया था, उस समय नचिकेता फ्लाइट लेफ्टिनेंट ही थे। भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बाद उन्हें आठ दिन बाद छोड़ दिया गया था।

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वर्ष 1999 में तत्कालीन फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता तब भारतीय वायुसेना के नौवें स्क्वाड्रन में तैनात थे। यह स्क्वाड्रन युद्धग्रस्त बटालिक सेक्टर में तैनात था। नचिकेता को 17 हजार फीट की ऊंचाई से 80 एमएम राकेट दागने का जिम्मा दिया गया था। 27 मई को दुश्मन की चौकियों पर युद्धक विमान मिग-27 से हमला कर रहे थे। एक रॉकेट के हमले में उनका विमान का इंजन रुक गया और विमान से पैराशूट लेकर कूदना पड़ा। इस दौरान उन्‍हें पाकिस्‍तानी सीमा में उतरना पड़ा। उन्हें पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया। उन्हें रावलपिंडी की जेल में ले जाया गया और पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें बहुत यातनाएं दीं।

वर्ष 2016 में नचिकेता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें तीन-चार दिनों तक यातनाएं दी गईं। इस बीच भारत ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डाला। आठ दिन बाद तीन जून, 1999 को उन्हें पाकिस्तान में रेड क्रास को सौंप दिया गया और वह वाघा बार्डर के रास्ते भारत लौट आए। ग्रुप कैप्टन नचिकेता को वर्ष 2000 में वायुसेना पदक से सम्मानित किया गया था।

इस बीच, विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) एके सिंह ने बताया है कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट नचिकेता की रिहाई के लिए भारत सरकार ने युद्धस्तर पर कोशिश की थी, तब उन्हें भारत वापस लाया जा सका। जेनेवा संधि के तहत युद्धबंदी को अधिकार मिलते हैं। इसके तहत युद्धबंदी से कुछ पूछने के लिए उसके साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती। उनके खिलाफ धमकी या दबाव का इस्तेमाल नहीं हो सकता। 

जिनेवा संधि की कुछ मुख्य बातें 
युद्ध के दौरान भी मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए जेनेवा समझौता हुआ था। इस पर 179 देशों ने हस्ताक्षर किया है। इसमें युद्धबंदियों के अधिकार तय किये गये हैं। उसके खिलाफ मुकदमा भी इन्हीं नियमों के तहत चलाया जा सकता है। युद्धबंदी को लौटाना भी होता है। संधि के तहत घायल युद्धबंदी की उचित देखरेख की जाती है। युद्धबंदी को खाना-पानी के साथ जरूरत की सभी चीजें दी जाती हैं। युद्ध में बंदी सैनिक से अमानवीय व्यवहार नहीं किया जा सकता। सैनिक ज्यों ही पकड़ा जाता है, उस पर संधि के सभी नियम लागू होते हैं। युद्धबंदी की जाति, धर्म और जन्म आदि के बारे नहीं पूछा जा सकता है।


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