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आतंकवाद को शह देना बंद करे पाक, शांति के बिना तरक्की संभव नहीं: उपराष्ट्रपति

कोई भी सरकार तब तक विकास कार्यो को बढ़ावा नहीं दे सकती है, जब तक सीमाएं शांत न हों।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 11:17 PM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 11:17 PM (IST)
आतंकवाद को शह देना बंद करे पाक, शांति के बिना तरक्की संभव नहीं: उपराष्ट्रपति
आतंकवाद को शह देना बंद करे पाक, शांति के बिना तरक्की संभव नहीं: उपराष्ट्रपति

राज्य ब्यूरो, जम्मू। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने केंद्र सरकार के पाकिस्तान व हुर्रियत से बातचीत की पेशकश की पैरवी करते हुए कहा है कि पड़ोसी देश इस पर गंभीरता दिखाते हुए आतंकवाद को शह देना बंद करे। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आइआइआइएम) जम्मू में सोमवार को वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शांति के बिना तरक्की संभव नहीं है। हम पड़ोसी से बातचीत करने को तैयार हैं। पाकिस्तान को यह समझते हुए अपनी जमीन पर आतंकियों का प्रशिक्षण देना रोकना चाहिए।

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-आइआइआइएम जम्मू में वैज्ञानिकों को वेंकैया ने किया संबोधित

-प्रयोगशालाओं का शोध किसानों तक पहुंचाएं वैज्ञानिक

सीमा पर भारी गोलाबारी से उपजे हालात का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इससे विकास में बाधा आ रही है। कोई भी सरकार तब तक विकास कार्यो को बढ़ावा नहीं दे सकती है, जब तक सीमाएं शांत न हों। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा व एकता के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस बरती जानी चाहिए।

सोमवार को एक दिवसीय जम्मू दौरे पर पहुंचे उपराष्ट्रपति ने कहा कि वैश्वीकरण, आर्थिक सुधारों व निजीकरण के दौर में कोई भी देश अलग थलग रहने के बारे में सोच भी नहीं सकता है। जब विश्व और देश के अन्य हिस्से प्रगति की राह पर हैं, तो जम्मू कश्मीर में ऐसा क्यों न हो। हमें खुद से यह सवाल पूछकर उसका उत्तर तलाशना चाहिए। स्वस्थ राज्य, अमीर राज्य हैं। यहां स्वस्थ के मायने शांति, कानून व्यवस्था व संपूर्ण विकास है। यह जम्मू कश्मीर के लोगों पर निर्भर है कि वे मौजूदा हालात में जीना चाहते हैं या फिर शांति में। जम्मू कश्मीर को मिले 80 हजार करोड़ रुपये व अन्य पैकेजों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों को एक लाख करोड़ के विकास के फायदे मिलने के लिए हालात बेहतर होना जरूरी है।

देश की प्रगति में शोध संस्थानों व वैज्ञानिकों की अहमियत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि प्रयोगशालाओं में होने वाले शोध का फायदा आम लोगों तक पहुंचे। आइआइआइएम जम्मू में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला में हासिल उपलब्धियों का फायदा आम लोगों तक पहुंचना जरूरी है। चाहे खेतीबाड़ी हो या बीमारियों के इलाज तलाशने की दिशा में शोध हो, इसका असली फायदा तभी होगा जब इससे आम लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा।

उपराष्ट्रपति ने जोर दिया कि वैज्ञानिक किसानों के बीच जाकर उन्हें बताएं कि कैसे वे आधुनिक तरीकों के इस्तेमाल से खेती को बेहतर बना सकते हैं। इससे न सिर्फ किसानों का आर्थिक स्तर बेहतर होगा बल्कि देश का विकास भी होगा। चिकित्सा के क्षेत्र में शोध का भी बीमारियों की रोकथाम के लिए बेहतर तरीके से इस्तेमाल होना चाहिए।

इस मौके पर उपराष्ट्रपति के साथ राज्यपाल एनएन वोहरा, प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र ¨सह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे। इससे पहले संस्थान के निदेशक आर विश्वकर्मा ने शोध व उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।


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