पाक सेना ही भारत में करा रही आतंकियों की घुसपैठ, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उठाएंगे हर जरूरी कदम
यदि पाकिस्तान में एटमी हथियार आतंकियों के हाथ लग गए तो इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं। पाक परमाणु हथियारों को किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन की निगरानी में लाया जाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान के खतरनाक आतंकी मंसूबों के बारे में रक्षा मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में गंभीर खुलासे किये है, जो बेहद चौकाने वाले है। रक्षा मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि खराब आर्थिक स्थिति से जूझने के बाद भी पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों और मिसाइलों में तेजी से इजाफा कर रहा है। जो भारत और विश्व शांति के लिए चिंता का विषय है।
पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद, क्रास बॉर्डर गोलीबारी और भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं। रिपोर्ट में विस्तारपूर्वक इस बात का उल्लेख किया गया है कि, पाकिस्तान सेना जम्मू-कश्मीर में सीमा पार फायरिंग करवा कर आतंकी संगठनों को भारत की सीमा में पहुंचने में लगातार मदद देने का काम कर रही है।
रक्षा मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद द्वारा करवाए गए पुलवामा हमले से यह सिद्ध होता है कि भारत पाकिस्तान प्रायोजित सीमापार आतंकवाद नीति का निशाना है।
रिपोर्ट में लिखा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकी गिरोहों को समर्थन न देने और भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले आतंकी ढांचे को नष्ट करने के विश्वसनीय और बड़े फैसले नहीं लेता, तब तक राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत मजबूत और निर्णायक कदम उठाता रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने ऐसे जिहादी और अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करना बंद कर दिया जिनके निशाने पर पाक के पड़ोसी देश होते हैं।
दरअसल पाकिस्तान की कुछ सैन्य तैयारियां न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व को चिंता में डालने वाली हैं। अंतरराष्ट्रीय आकलन के अनुसार पाकिस्तान के पास आज की तारीख में 140-150 एटमी हथियार हैं। हथियार बढ़ाने की उसकी यह रफ्तार कायम रहती है तो पाकिस्तान का परमाणु भंडार 2025 तक बढ़कर 220-250 तक हो जाएगा। उसके हथियारों में इस प्रकार की बढ़ोतरी पूरी दुनिया को चिंता में डाल रही है। कारण यह कि उसकी स्थिति अन्य परमाणु शक्ति संपन्न देशों से बहुत अलग है।
पाकिस्तान में सत्ता के कई केंद्र हैं। लोकतांत्रिक सरकार की हालत कमजोर है। फौज और आईएसआई अपने तरीके से फैसले करती रहती हैं, जबकि कट्टरपंथी और आतंकियों की अपनी अलग ही सत्ता है।
ऐसे में यह आशंका जताई जाती रही है कि अगर ये हथियार आतंकियों के हाथ लग गए तो इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं। यह बात भी किसी से नहीं छुपी है कि पाकिस्तानी फौजी ठिकानों को ये आतंकी कई बार अपना निशाना बना चुके हैं। ऐसे में एक रास्ता यही बचता है कि पाक परमाणु हथियारों को किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन की निगरानी में लाया जाए।