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मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जाने की मांग, बिना कैबिनेट के रद हों अध्यादेश

बिना कैबिनेट के सरकार द्वारा पारित मध्य प्रदेश विनियोग (लेखानुदान 2020) अध्यादेश और मध्य प्रदेश वित्त अध्यादेश को वापस कराया जाए।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 10:43 PM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2020 10:43 PM (IST)
मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जाने की मांग, बिना कैबिनेट के रद हों अध्यादेश

राज्य ब्यूरो, भोपाल। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा हाल ही में पारित दो अध्यादेशों को असंवैधानिक बताया है। इस संबंध में राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। पत्र में इन नेताओं ने राष्ट्रपति से मांग की है कि राज्यपाल से रिपोर्ट मंगाकर वे मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाएं।

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तन्खा ने कुछ दिन पहले भी राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बिना कैबिनेट के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा काम किए जाने पर गंभीर आरोप लगाए थे। सांसद तन्खा और सिब्बल ने पत्र में मांग की है कि मध्य प्रदेश सरकार को संविधान के अनुच्छेद 164 (1) के तहत तुरंत कम से कम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल बनाने के निर्देश दें।

कांग्रेस सांसदों ने बताया असंवैधानिक

बिना कैबिनेट के सरकार द्वारा पारित मध्य प्रदेश विनियोग (लेखानुदान 2020) अध्यादेश और मध्य प्रदेश वित्त अध्यादेश को वापस कराया जाए। इनमें से एक में सरकार ने कैबिनेट और विधानसभा द्वारा कर्ज लेने की 3000 करोड़ रपये की सीमा को बिना कैबिनेट व विधानसभा के पारित कर लिया था, जिसे कांग्रेस सांसदों ने असंवैधानिक बताया है।

कैबिनेट गठित न किए जाने पर जताई आपत्ति

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कांग्रेस सांसदों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की शपथ के 28 दिन बाद भी कैबिनेट गठित नहीं होने पर भी आपत्ति की है। उन्होंने कहा कि बिना कैबिनेट के राजकोषीय निर्णय लिए जा रहे हैं। राज्य में टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता शामिल हैं।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वाली यह टास्क फोर्स राज्य सरकार को कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सलाह देने के लिए बनाई गई है। कांग्रेस सांसदों ने कहा है कि मध्य प्रदेश में संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह टूट गई है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना जरूरी हो गया है।


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