राज्यसभा में थमा विपक्ष का हंगामा, शिवसेना ने यूरोपियन संघ के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की उठाई मांग
राज्यसभा में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने सीएए जैसे मुद्दों को लेकर यूरोपियन संघ में लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ संसद के दोनों सदनों से एक प्रस्ताव पारित करने की मांग उठाई।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में पिछले दो दिनों से चल रहा विपक्ष का हंगामा बुधवार को पूरी तरह से थम गया। सदन का कामकाज पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से चला। हालांकि विपक्ष ने इसके संकेत मंगलवार को ही दे दिए थे। उन्होंने अपने विरोध-प्रदर्शन के तरीके को बदलते हुए सिर्फ सत्ता पक्ष के बोलने पर ही नारेबाजी कर रहे थे। राज्यसभा में विपक्ष का यह हंगामा नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी जैसे विषयों पर चर्चा कराने की मांग को लेकर था।
वैसे भी दिल्ली के चुनावों को देखते हुए विपक्ष इस हंगामे को ज्यादा लंबा खींचने के पक्ष में नहीं था। क्योंकि उसे सत्ता पक्ष द्वारा इसका फायदा उठाने का खतरा था। बुधवार को हालांकि तृणमूल कांग्रेस जैसे दल इससे पीछे हटने को तैयार नहीं थे। लेकिन जब उन्हें विपक्ष के दूसरे किसी का साथ नहीं मिला, तो वह भी चुप रहे।
दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित करने की मांग
इसी बीच राज्यसभा में शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने सीएए जैसे मुद्दों को लेकर यूरोपियन संघ में लाए गए प्रस्ताव के खिलाफ संसद के दोनों सदनों से एक प्रस्ताव पारित करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि यूरोपियन संघ को यह संदेश देना जरूरी है, कि कोई भी हमारे आतंरिक मामलों में दखल देगा, तो वह चुप नहीं बैठेंगे। सीएए, एनआरसी और एनपीआर हमारे देश के आंतरिक मुद्दे है। हम इसे लेकर सहमत और असहमत हो सकते है, लेकिन किसी भी बाहरी देश इनमें दखल देना ठीक नहीं है। शिवसेना सासंद के इस प्रस्ताव के सदन के ज्यादातर सदस्यों ने समर्थन किया। हालांकि सभापति ने कहा कि वह इस पर चर्चा कराना चाहते थे, लेकिन भारत के कड़े विरोध के बाद उन्होंने इस पर चर्चा नहीं की।
मोतीलाल बोरा और रेवती रमण की सभापति ने की तारीफ
राज्यसभा में बुधवार को सभापति ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद मोतीलाल बोरा और सपा सांसद रेवती रमण सिंह की जमकर तारीफ की। दरअसल, सभापति ने दोनों ही वरिष्ठ सदस्यों की तारीफ तब की, जब दोनों ने ही जनहित से जुड़े अहम विषयों को उठाया। बोरा ने टिकटों की कालाबाजारी का तो रेवती रमण सिंह ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पड़े पदों का मुद्दा उठाया। सभापति ने इन दोनों ही सदस्यों की सक्रियता को देख सदन के बाकी सदस्यों खासकर नए सदस्यों ने इनसे सीखने की सलाह दी, जो सदन में तैयारी ने नहीं आते है। न ही जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाते है।