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राज्यसभा में आरक्षण विधेयक पर सवाल उठा सकता है विपक्ष, कांग्रेस के समर्थन के आसार

10 फीसद आरक्षण देने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक के समय पर राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां सवाल उठा सकती हैं। हालांकि कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन कर सकती है।

By Arti YadavEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 08:25 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 08:25 AM (IST)
राज्यसभा में आरक्षण विधेयक पर सवाल उठा सकता है विपक्ष, कांग्रेस के समर्थन के आसार

नई दिल्ली, प्रेट्र। आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसद आरक्षण देने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक के समय पर राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां बुधवार को सवाल उठा सकती हैं। हालांकि कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन कर सकती है, जबकि अन्य विपक्षी पार्टियां इसे पारित करने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।

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सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विपक्षी पार्टियों ने अपने सभी सदस्यों से बुधवार को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए कहा है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। मंगलवार को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां इस पर कड़ा रुख अपना सकती हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि विपक्षी पार्टियों के नेता राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बढ़ाने के सरकार के 'एकतरफा' कदम का भी विरोध कर रहे हैं। वे सदन में विरोध प्रदर्शन भी करेंगे।

संविधान संशोधन के लिए चाहिए होगा दो-तिहाई समर्थन

संविधान संशोधन के लिए सदन में आधे से अधिक सदस्यों की मौजूदगी और दो-तिहाई समर्थन चाहिए होता है। यानी राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से कम से कम 123 सदस्यों की मौजूदगी जरूरी होगी। उसका दो तिहाई वोट समर्थन में चाहिए होगा। भाजपा ने अपने सदस्यों को तो व्हिप जारी किया है और उसके 73 सदस्य मौजूद होंगे। राजग के कुल सदस्य भी 100 से कम हैं। ऐसे में विपक्षी दलों के सदस्यों की संख्या कम हुई तो परेशानी खड़ी हो सकती है।

राज्यसभा से पारित होते ही लागू हो जाएगा 10 फीसद आरक्षण

बता दें कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए सरकारी नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण का विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया। आज अगर राज्यसभा में भी यह संविधान संशोधन पारित हो जाता है तो बिना विलंब आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा। यानी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। यह लाभ केवल हिंदू धर्मावलंबी अनारक्षित जातियों के लिए ही नहीं, बल्कि मुस्लिम, ईसाई और अन्य समुदायों को भी मिलेगा।


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