एलएसी पर बहस की मांग को लेकर विपक्ष आक्रामक, जयराम रमेश बोले- चीनी अतिक्रमण का मुद्दा सर्वोच्च प्राथमिकता
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीनी सेना के अतिक्रमण पर बहस की मांग को लेकर विपक्ष सरकार से भिड़ने की तैयारी कर रहा है। कांग्रेस ने साफ कहा है कि सरकार ने शीत सत्र में चर्चा की मांग नहीं मानी तो विपक्ष अब चुप नहीं बैठेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच गहरे राजनीतिक टकराव के मुद्दे भले इस बार सामने नहीं हैं मगर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीनी सेना के अतिक्रमण पर बहस की मांग को लेकर विपक्ष सरकार से भिड़ने की तैयारी कर रहा है। लंबे अर्से से संसद में एलएसी गतिरोध के हालत पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी दलों की ओर से कांग्रेस ने साफ कहा है कि सरकार ने शीत सत्र में चर्चा की मांग नहीं मानी तो विपक्ष अब चुप नहीं बैठेगा। एलएसी गतिरोध पर बहस ही शीत सत्र के दौरान विपक्ष के मुद्दों की सूची में सबसे उपर रहेगा। राज्यसभा में विपक्ष की ओर से शुक्रवार को इस पर चर्चा के लिए नोटिस भी दिया गया मगर सभापति ने इसे खारिज कर दिया।
फिर उठेगी एलएसी को लेकर चर्चा की मांग
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भले ही आज चर्चा की मांग खारिज कर दी गई हो मगर हम अगले हफ्ते इसे फिर उठाएंगे। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ विपक्षी पार्टियों की बुधवार को हुई बैठक, जिसमें आम आदमी पार्टी और टीएमसी भी थी सभी ने सत्र के दौरान जिन मुद्दों को चुना उसमें एलएसी का मसला सर्वोपरि है। जयराम ने कहा कि सरकार पिछले 22 महीनों से एलएसी के हालत पर चर्चा की हमारी मांग टाल रही है और आज मैंने खुद जाकर सभापति को याद दिलाया कि नवंबर 1962 में जब लद्दाख और अरुणाचल में हमारी सीमाओं पर चीन का आक्रमण हो रहा था तब संसद सत्र बुलाई गई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य दोनों सदनों में बैठक अपनी सरकार की आलोचना सुन रहे थे। तब के बड़े-बड़े विपक्षी नेता आचार्य कृपलानी, अटल बिहारी बाजपेयी, एनजी गोरे सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना कर रहे थे। जबकि मौजूदा सरकार एलएसी पर चीनी सेना घुसपैठ से बिगड़ी हालत पर बहस से भाग रही है।
एलएसी का मुद्दा गंभीर विषय
जयराम ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर मार्च 2020 की यथास्थिति आज नहीं है और यह गंभीर विषय है जिस पर संसद में बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने सरकार को यह भी सुझाव दिया था कि रक्षा मंत्री विपक्ष के नेताओं के साथ इन-कैमरा बैठक करें और गोपनीय चीजों को छोड़ हालत से रूबरू कराएं। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि संसद में बहस होगी तो हम एक सामूहिक संकल्प के जरिए दुनिया को दिखा पाएंगे कि इस मसले पर राष्ट्र एक है। मगर यह समझ से परे है कि सरकार आखिर बहस से क्यों भाग रही है और ये देश के साथ धोखा हो रहा है।