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CAA और NRC के बीच गलतफहमी दूर करने में सरकार असमर्थ, करना होगा प्रयास: चिराग पासवान

LJP प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि सरकार को CAA और NRC के बीच अंतर समझाने के लिए प्रयास करने चाहिेए।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sat, 21 Dec 2019 08:58 AM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 09:00 AM (IST)
CAA और NRC के बीच  गलतफहमी दूर करने में सरकार असमर्थ, करना होगा प्रयास: चिराग पासवान
CAA और NRC के बीच गलतफहमी दूर करने में सरकार असमर्थ, करना होगा प्रयास: चिराग पासवान

नई दिल्ली, एएनआइ। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि लोगों को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के बीच अंतर को समझाने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि, सरकार एक महत्वपूर्ण वर्ग के बीच गलतफहमी को दूर करने में असमर्थ है। 

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सरकार करे प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत

सरकार को प्रदर्शनकारियों को मनाने और उनके साथ संवाद करने के लिए आग्रह करने के साथ ही कि उन्हें बताना चाहिए कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) लिंक नहीं हैं। पासवान ने ट्वीट करते हुए कहा कि पार्टी ने देश में मौजूदा स्थिति पर चर्चा की है और उसी के बारे में गृह मंत्रालय को सूचित किया।

समाज के महत्वपूर्ण वर्ग को समझाने में विफल सरकार

पासवान ने ट्वीट में आगे कहा कि जिस तरह से देश में सीएबी और एनआरसी को जोड़ने का विरोध हो रहा है, उसमें स्पष्ट है कि सरकार समाज के एक महत्वपूर्ण वर्ग में व्याप्त भ्रम को दूर करने में विफल रही है। उन्होंने आगे कहा कि जो एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें मनाने की यह सरकार की जिम्मेदारी सरकार की है। उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि सरकार का भागीदार होने के नाते साथ एक भागीदार होने के नाते, हम इसे प्रदर्शनकारियों से संवाद करने और उनके डर को दूर करने का अनुरोध करते हैं। इसके साथ ही लोजपा प्रमुख ने आश्वासन दिया कि NRC के संबंध में उनकी पार्टी मुस्लिम, दलित और वंचित वर्गों की" चिंताओं "पर ध्यान देगी।                                                            

लोजपा ने मुस्लिम, दलित और समाज के वंचित तबकों को आश्वासन दिया कि एनआरसी के संबंध में उनकी चिंताओं का उचित ध्यान रखा जाएगा और पार्टी ऐसे किसी भी कानून का समर्थन नहीं करेगी, जो आम लोगों के हितों के खिलाफ है।                                                                                                      

क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019

दरअसल, नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न से भाग रहे हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करना चाहता है, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था।


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