भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून के तहत नीरव मोदी के खिलाफ नोटिस जारी
आप लोग विदेश भाग चुके हैं और भारत आने को तैयार भी नहीं है ऐसे में आपको नए कानून के तहत भगोड़ा घोषित कर देना चाहिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के सरकारी बैंकों को अरबों-खरबों का चूना लगाकर विदेश फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी को स्वदेश लाने में सरकार को अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है, लेकिन उसकी परिसंपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया जरुर तेज हो रही है। अब जांच एजेंसियों ने हाल ही में बनाये गये भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून 2018 के तहत नीरव मोदी और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई शुरु कर दी है।
भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रस्ताव के मुताबिक इस कानून को लागू करने के लिए गठित विशेष कोर्ट की तरफ से इस बारे में नोटिस जारी कर दिये गये। नोटिस के तहत नीरव मोदी, उसकी बहन पूर्वी मोदी और उसके भाई नीशल मोदी के खिलाफ सम्मन जारी किया गया है और उन्हें कोर्ट में 25 सितंबर या उससे पहले उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।
उक्त तीनों को जारी नोटिस में कहा गया है कि अगर वे निर्धारित तिथि पर कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं होते है तो उनकी परिसंपत्तियों को नए कानून के तहत जब्त कर लिया जाएगा। ईडी का आरोप है कि उक्त तीनों ने सिर्फ भारतीय बैंकों के साथ वित्तीय हेराफरी में संलग्न हैं बल्कि वे भारतीय कानून से बचने के लिए सुनियोजित तरीके से विदेश भाग चुके हैं। उन पर मनी लॉड्रिंग का भी आरोप है। उक्त तीनों को जारी अलग-अलग नोटिस में कहा गया है कि चूंकि आप लोग विदेश भाग चुके हैं और भारत आने को तैयार भी नहीं है ऐसे में आपको नए कानून के तहत भगोड़ा घोषित कर देना चाहिए।
सनद रहे कि विशेष कोर्ट इसके पहले नीरव मोदी के संबंधी व उनके आर्थिक अपराध में हिस्सेदार मेहुल चोकसी के खिलाफ भी भी इसी कानून के तहत नोटिस जारी कर चुका है। चोकसी को 26 सितंबर, 2018 तक कोर्ट में उपस्थित होने को कहा गया है। जबकि सरकारी बैंकों को चूना लगा कर गायब एक अन्य उद्योगपति विजय माल्या को 27 अगस्त, 2018 से पहले उपस्थित होने को कहा गया है।
नीरव मोदी और विजय माल्या अभी लंदन में है जबकि चोकसी एंटीगुआ व बारबाडोस में है। विजय माल्या के मामले की सुनवाई लंदन स्थित अदालत में हो रही है। अभी वहां की अदालत ने भारतीय बैंकों के प्रतिनिधि वकीलों से उस जेल का विवरण मांगा है जहां माल्या को प्रत्यार्पित करने के बाद रखा जाना है। चोकसी के प्रत्यार्पण को लेकर भारत और एंटीगुआ सरकार के बीच लगातार विमर्श हो रहा है।
भारत का कहना है कि सीधे तौर पर एंटीगुआ के सात प्रत्यार्पण संधि नहीं होने के बावजूद चोकसी को भारत लाया जा सकता है। इसके लिए राष्ट्रमंडल देशों के बीच हुए एक समझौते को आधार बनाया जा रहा है जिसके सदस्य देशों को एक दूसरे के संगीन अपराधियों को सौंपने का प्रावधान है।