राजग को राज्यसभा में अगले साल मिलेगा बहुमत, एजेंडा लागू करने में आ रही अड़चनें दूर होंगी
इस साल जून में और अगले साल नवंबर में उच्च सदन में उसकी करीब एक-तिहाई सीटें खाली हो जाएंगी।
नई दिल्ली, आइएएनएस। भाजपा के नेतृत्व में राजग को राज्यसभा में अगले साल के अंत में बहुमत मिलने की उम्मीद है। इससे मोदी सरकार को अपने विधायी एजेंडा को उच्च सदन में लागू करने में पिछले पांच साल से आ रही अड़चनें दूर हो जाएंगी।
मौजूदा समय में संसद के उच्च सदन में राजग के कुल 102 सदस्य हैं। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग के 66 सदस्य और इन दोनों गठबंधनों से इतर दलों के भी 66 सदस्य हैं। लिहाजा, इस दफा लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीतने के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के अगले साल नवंबर में 18 और सीटें जुड़ जाएंगी। इसके अलावा, सत्तारूढ़ गठबंधन को कुछ नामित सदस्यों, स्वतंत्र सदस्यों और असंबद्ध सदस्यों का भी समर्थन हासिल हो सकता है।
उच्च सदन में आधी सीटें हासिल करने के लिए 123 सदस्यों का आंकड़ा पूरा होना चाहिए। उच्च सदन के इन सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्य करते हैं। भाजपा इनमें से अधिकांश दस सीटें जीत लेगी जोकि अगले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश में खाली होने वाली हैं। फिलहाल इनमें से नौ सीटें विपक्षी दलों के पास हैं। इसमें से छह सपा, दो बसपा और एक कांग्रेस के कब्जे में है।
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 309 सदस्य हैं। इसके बाद सपा के 48, बसपा से 19 और कांग्रेस के सात सदस्य हैं। अगले साल भाजपा को असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश से भी सीटें मिलेंगी। लेकिन वह राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सीटें खो देगी। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे भी भाजपा को उच्च सदन में उबारने का काम करेंगे। असम में दो सीटों पर चुनाव की घोषणा पहले ही हो चुकी है। राज्य में तीन और सीटें अगले साल खाली हो जाएंगी। राज्य की विधानसभा में भाजपा और उसके घटक दलों का दो-तिहाई बहुमत है। इस साल जून में और अगले साल नवंबर में उच्च सदन में उसकी करीब एक-तिहाई सीटें खाली हो जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले पांच सालों में राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार विपक्षी विरोध के चलते अपने एजेंडे पूरे नहीं कर पा रही है। सरकार बहुत कोशिशों के बावजूद एकमुश्त तीन तलाक विरोधी बिल पारित नहीं करा पाई। इसके अलावा, नागरिक संशोधन बिल भी लटका हुआ है।
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