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राजीव के बहाने सोनिया गांधी बोलीं, बहुमत की ताकत के सहारे देश में डर-भय का माहौल

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बहुमत की ताकत के सहारे देश में डर और भय का माहौल बनाने को लेकर मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 10:15 PM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 12:07 AM (IST)
राजीव के बहाने सोनिया गांधी बोलीं, बहुमत की ताकत के सहारे देश में डर-भय का माहौल
राजीव के बहाने सोनिया गांधी बोलीं, बहुमत की ताकत के सहारे देश में डर-भय का माहौल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बहुमत की ताकत के सहारे देश में डर और भय का माहौल बनाने को लेकर मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा है। राजीव गांधी को मिले रिकार्ड तोड़ बहुमत का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने कभी बहुमत की ताकत का इस्तेमाल डराने-धमकाने के लिए नहीं किया।

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राजीव गांधी के 75वें जयंती वर्ष पर कार्यक्रम 
कांग्रेस नेता पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी पर जारी राजनीतिक घमासान के बीच सोनिया गांधी ने सीधे इसका जिक्र तो नहीं किया मगर सत्ता की ताकत के सहारे असहमति के सुर को बंद करने की बात कह इस ओर साफ इशारा किया। राजीव गांधी के 75वें जयंती वर्ष पर आयोजित पार्टी के विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने यह बात की। कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर दुबारा पार्टी की कमान संभालने के बाद यह उनका पहला संबोधन था। इसमें उन्होंने मौजूदा सरकार को बहुमत का अनुचित इस्तेमाल करने का लेकर घेरा।

पति का नाम लेकर सत्‍ता पक्ष को घेरा  
सोनिया गांधी ने कहा 'राजीव गांधी 1984 बेमिसाल बहुमत से जीतकर आए थे। लेकिन उन्होंने उस ताकत का इस्तेमाल भय का माहौल बनाने और डराने-धमकाने के लिए नहीं किया। संस्थानों की स्वतंत्रता को नष्ट करने के लिए नहीं किया। असहमति और विरोध के नजरिए को कुचलने के लिए नहीं किया। लोकतांत्रिक परंपरा और जीवन शैली के लिए खतरा पैदा करने के लिए नहीं किया।'

राजीव का उदाहरण पेश किया 
कांग्रेस और राजीव की लोकतंत्र के मूल्यों में गहरी आस्था का उदाहरण देने के लिए सोनिया ने सत्ता छोड़ने के राजीव के फैसले का भी उदाहरण दिया। सोनिया ने कहा कि 1989 में कांग्रेस दुबारा अकेले पूरे बहुमत से जीतकर नहीं आ पायी। तब राजीव ने गरिमा और विनम्रता के साथ जनादेश को स्वीकार किया। कांग्रेस के सबसे बड़ा राजनीतिक दल होने के बावजूद सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया। ऐसा इसलिए नहीं किया कि उनके आंतरिक नैतिक बल, उदारता और उनकी इमानदारी ने ऐसा करने नहीं दिया। ये आज कोई नहीं कर सकता जैसा राजीव ने किया था। मगर कांग्रेस अध्यक्ष ने तत्काल इसमें संशोधन करते हुए कहा कि राहुल ने किया। उनका साफ इशारा यूपीए सरकार के समय राहुल गांधी के मंत्री से लेकर पीएम बनने तक के प्रस्ताव को ठुकराने की ओर था।

राजीव के भविष्‍य के नजरिये के बारे में बताया 
सोनिया गांधी ने अतीत पर सत्तापक्ष के हमले को लेकर भी उस पर निशाना साधते हुए कहा कि जहां कुछ लोग अतीत को खोदने में जुटें हैं वहीं राजीव देश का भविष्य बनाने की दृष्टि तय करने में लगे थे। राजीव को अपने इतिहास पर गर्व था मगर उनकी दृष्टि साफ थी कि भारत को एक आधुनिक देश बनना है जहां वैज्ञानिक दृष्टि की जरूरत है न कि विभाजनकारी सोच की।

पूर्वाग्रह, सामाजिक विभेद और ध्रुवीकरण के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इसीलिए कांग्रेस को एकजुट होकर उन ताकतों का मुकाबला करना होगा जो उन मूल्यों को नष्ट कर रही हैं जिनमें राजीव की आस्था थी और यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। सोनिया ने इसके लिए पार्टी को तैयार होने का संदेश देते हुए कहा कि चुनावी हार जीत होते रहते हैं। मगर कांग्रेस के सामने आज बहुत बड़ी चुनौती है कि वह विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ अपनी वैचारिक लड़ाई मजबूती से जारी रखे क्योंकि ये ताकतें आज समाज का स्वरूप ही नहीं भारत की बुनियादी आत्मा जिसकी आधारशिला हमारे संविधान ने रखी है उसे बदलने पर उतारू हैं।

राजीव के पांच साल के अहम कामों का किया जिक्र 
सोनिया गांधी ने इस दौरान प्रधानमंत्री के तौर पर राजीव गांधी के पांच साल के अहम कामों का भी जिक्र किया जिसने नये और आधुनिक भारत की नींव रखी। देश की बुनियादी सूरत बदलकर दिखाया। 18 साल के युवाओं को मतदान का अधिकार, पंचायतों और नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देना, कंप्यूटर और दूरसंचार क्रांति को उनका अमिट योगदान बताया। देश की एकता और अखंड़ता के लिए पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता, त्रिपुरा समझौता, असम समझौता और दार्जिलिंग हिल कांउसिल समझौता किया। इन समझौतों के लिए राजीव गांधी ने कांग्रेस के हितों को एक तरफ रखकर देश की एकता के लिए साहसिक फैसले लिए।


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