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मुजफ्फरपुर शेल्‍टर होम कांड: ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा को हाई कोर्ट में दी चुनौती

मुजफ्फरपुर शेल्‍टर होम के मुख्‍य दोषी ब्रजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्‍ली हाई कोर्ट का रुख किया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 08:00 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 11:49 PM (IST)
मुजफ्फरपुर शेल्‍टर होम कांड: ब्रजेश ठाकुर ने उम्रकैद की सजा को हाई कोर्ट में दी चुनौती

नई दिल्‍ली, जागरण संवाददाता। बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में दुष्कर्म व यौन उत्पीड़न के चर्चित मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर ने निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका पर आने वाले दिनों में सुनवाई हो सकती है। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 जनवरी 2020 को दिए फैसले में ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोग को दोषी करार दिया था।

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ब्रजेश ठाकुर पर 32.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अधिवक्ता निशांक मत्तो के माध्यम से दायर चुनौती याचिका में ब्रजेश ठाकुर ने कहा कि साकेत कोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई की और यह उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन है। उसने दावा किया कि निचली अदालत ने पक्षपातपूर्ण तरीके से सजा का फैसला सुनाया। उसके आवेदन को बिना दिमाग लगाए ही खारिज कर दिया गया।

दुष्कर्म के मामले में पोटेंसी टेस्ट मूलभूत तथ्यों में से एक है, लेकिन बिहार पुलिस से लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी तक ने ब्रजेश का पोटेंसी टेस्ट नहीं कराया। अपील याचिका में कहा गया कि निचली अदालत यह तथ्य देखने में नाकाम रहा कि दुष्कर्म के मामले में अभियोजन को सबसे यह स्थापित करना अनिवार्य है कि आरोपित पोटेंट (जनन-क्षमता) है और उक्त आरोप को करने की क्षमता रखता है।

याचिका में कहा गया कि निचली अदालत का फैसला अवैध, गलत, दोषपूर्ण है और इसे रद किया जाना चाहिए। सात महीने की नियमित सुनवाई के बाद अपने फैसले में साकेत कोर्ट ने तीन दुष्कर्म पीडि़ताओं को 5.50 लाख रुपये, एक पीडि़ता को छह लाख एवं 9 लाख रुपये एक अन्य पीडि़ता को देने का निर्देश भी दिया था। दो पीडि़ताओं को 40-40 हजार एवं एक अन्य पीडि़ता को 25 हजार रुपये का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रांसफर हुआ था केससुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला बिहार के मुजफ्फरपुर की जिला अदालत से साकेत कोर्ट में स्थानांतरित किया गया था। पूरा मामला तब सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि बालिका गृह में लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया जा रहा है।


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