वाड्रा की लंदन बेनामी प्रापर्टी खरीद में दलाली के पैसे की जांच शुरू, ईडी के पास हैं पुख्ता सबूत
ईडी और आयकर विभाग के अधिकारियों की माने तो उनसे पास इसके राबर्ट वाड्रा की बेनामी संपत्ति होने के पुख्ता सबूत हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। लंदन में राबर्ट वाड्रा की बेनामी संपत्ति खरीदने के लिए कोरिया की कंपनी सैमसंग इंजीनियरिंग से ली गई दलाली के मामले की सीबीआइ जांच शुरू हो गई है। इस संबंध में दर्ज एफआइआर में सीबीआइ ने रक्षा सौदे के दलाल संजय भंडारी को आरोपी बनाया है।
दाहेज स्थित ओनएनजीसी के प्लांट के ठेके में सैमसंग इंजीनियरिंग से ली गई थी दलाली
सीबीआइ के अनुसार ओएनजीसी की एक सबसिडियरी कंपनी ओएनजीसी पेट्रो एडिशंस लिमिटेड (ओपल) से गुजरात के दाहेज में एक प्रोजेक्ट का ठेका देने के एवज में 49.99 लाख डालर (तत्कालीन विनिमय दर के हिसाब से 23.50 करोड़ रुपये) की दलाली ली गई थी। दैनिक जागरण ने 12 मार्च 2019 को विस्तार से इस घोटाले की खबर छापी थी।
रक्षा सौदों के दलाल संजय भंडारी की कंपनी में गई थी दलाली की रकम
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग और ईडी ने पिछले साल के शुरू में ही सीबीआइ को इस घोटाले के दस्तावेज सौंपते हुए भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एफआइआर दर्ज कर इसकी जांच की जरूरत बताई थी। इसके आधार पर सीबीआइ ने 11 जुलाई 2019 को प्रारंभिक जांच का केस दर्ज किया था। लगभग एक साल की प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआइ ने रेगुलर एफआइआर दर्ज करने का फैसला किया। इसमें संजय भंडारी और सैमसंग इंजीनियरिंग के सीनियर मैनेजर होंग नैमकुंग के साथ-साथ ओएनसीजी और ओपल के अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।
सैनटेक और सैमसंग इंजीनियरिंग के बीच दलाली का समझौता
सीबीआइ की एफआइआर के मुताबिक ओपल ने नवंबर 2006 में गुजरात के दाहेज स्थित एसईजेड में इथेन, प्रोपेन और बुटेन निकालने का प्लांट लगाने का फैसला किया और इसके लिए एक प्रोजेक्ट का ठेका मार्च 2008 में जर्मनी की लिंडे और दक्षिण कोरिया की सैमसंग इंजीनियरिंग के कंसोर्टियम को दिया। वैसे ठेका में भाग लेने वाली भारतीय कंपनी एलएंडटी और शॉ स्टेन व वेबस्टर के कंसोर्टियम ने ठेका की प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि प्रोजेक्ट लगाने के लिए ओपल के फैसले के एक महीना पहले ही संजय भंडारी की यूएई स्थित कंपनी सैनटेक और सैमसंग इंजीनियरिंग के बीच दलाली का समझौता हो गया। जिसमें 100 करोड़ डॉलर की कंसल्टेंसी फीस का प्रावधान था।
प्रोजेक्ट में खुलेआम ली गई दलाली- सीबीआइ
इस प्रोजेक्ट में खुलेआम ली गई दलाली का हवाला देते हुए सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संजय भंडारी के साथ हुए समझौते में ओएनजीसी से एडवांस मिलने के एक महीने के भीतर 50 फीसदी रकम और पूरी पेमेंट मिलने के छह महीने के भीतर बाकी के 50 फीसदी रकम देने की बात थी। लेकिन ठेके की शर्तो में एडवांस का कोई प्रावधान ही नहीं था। बाद में ओनएनजीसी की बोर्ड ने एडवांस देने का फैसला किया। ओएनजीसी ने सैमसंग इजीनियरिंग को 24 फरवरी 2009 को एडवांस दिया और 13 जून 2009 को संजय भंडारी की कंपनी में 49.99 लाख डॉलर की दलाली की रकम पहुंच गई।
लंदन स्थित 12, ब्रायंस्टन स्क्वायर का मकान संजय भंडारी ने स्काईलाइट को बेच दिया
दलाली की रकम पहुंचने के तत्काल बाद संजय भंडारी ने ब्रिटेन की कंपनी 19 लाख पौंड (तत्कालीन विनिमय दर के हिसाब से 15 करोड़ रुपये) में वरटेक्स मैनेजमेंट को खरीद लिया, जिसके पास लंदन स्थित 12, ब्रायंस्टन स्क्वायर का मकान था। इस तरह से यह मकान संजय भंडारी के पास आ गया। बाद में संजय भंडारी ने यह मकान दुबई स्थित स्काईलाइट इंवेस्टमेंट एफजेडई को बेच दिया। जांच एजेंसियों के अनुसार यह कंपनी राबर्ट वाड्रा की मुखौटा कंपनी है।
12 ब्रायंस्टन स्क्वायर से वाड्रा का रिश्ता
रक्षा सौदों के दलाल संजय भंडारी और उसके सहयोगियों के यहां छापे में आयकर विभाग और ईडी को 12, ब्रायंस्टन स्क्वायर की संपत्ति असल में राबर्ट वाड्रा के होने के सबूत मिले थे। दरअसल 2010 में भंडारी का रिश्तेदार सुमित चढ्डा इस संपत्ति की मरम्मत के लिए वाड्रा को ईमेल भेजकर इजाजत मांगी थी। बाद में एक ईमेल में सुमित चढ्डा ने मरम्मत के पैसे की भी व्यवस्था करने के लिए भी कहा था। इस इमेल के जवाब में वाड्रा ने मनोज अरोड़ा को इसकी व्यवस्था करने का निर्देश देने का भरोसा दिया था।
ईडी और आयकर विभाग के पास राबर्ट वाड्रा की बेनामी संपत्ति होने के हैं पुख्ता सबूत
ईडी के अनुसार इस संपत्ति की मरम्मत पर लगभग 45 लाख रुपये खर्च किये गए थे। इस संबंध में ईडी राबर्ट वाड्रा से लंबी पूछताछ कर चुका है। ईडी और आयकर विभाग के अधिकारियों की माने तो उनसे पास इसके राबर्ट वाड्रा की बेनामी संपत्ति होने के पुख्ता सबूत हैं।