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दिल्‍ली में उपराज्‍यपाल को ज्‍यादा अधिकार देने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी, हंगामे के बीच राज्यसभा से भी पारित

राज्‍यसभा में बुधवार देर रात को भारी हंगामे के बीच दिल्‍ली में उपराज्‍यपाल को ज्‍यादा अधिकार देने वाला NCT (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2021) पास हो गया। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा में 22 मार्च को पारित हो गया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 09:49 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 07:01 AM (IST)
दिल्‍ली में उपराज्‍यपाल को ज्‍यादा अधिकार देने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी, हंगामे के बीच राज्यसभा से भी पारित
दिल्‍ली में उपराज्‍यपाल को ज्‍यादा अधिकार देने वाला NCT विधेयक 2021 पास हो गया।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राज्यसभा में बुधवार को दिल्ली संशोधन विधेयक पारित हो गया। सदन में विधेयक पेश होने के साथ राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ, जिससे सदन को कई बार स्थगित करना पड़ा। यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है। विधेयक पर हुई लंबी बहस के दौरान गरमागरमी का माहौल बना रहा। हालांकि विधेयक पेश करने को लेकर ही पूरा सदन शोरशराबे और हंगामे में डूब गया। विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ पीठ के समक्ष आकर नारेबाजी की।

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मत विभाजन में 45 के मुकाबले 83 मतों से विधेयक पारित

विधेयक पारित कराने के लिए मत विभाजन की मांग की गई। जिसमें 45 के मुकाबले 83 मतों से विधेयक पारित हो गया। इसके बाद विपक्षी दलों ने सदन से वाकआउट कर लिया। इसके बाद विधेयक के विभिन्न खंडों को ध्वनिमत से पारित करा दिया गया। कांग्रेस और आप समेत अन्य विपक्षी दलों ने सभापति के आसन के समीप आकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस संशोधन विधेयक को सरकार व लोकतंत्र विरोधी करार देते हुए इसे तुरंत सेलेक्ट कमेटी को सौंपने की मांग की।

राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान हंगामा, सदन कई बार स्थगित

उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक पारित होने से चुनी हुई दिल्ली सरकार और विधायकों का अधिकार छिन जाएगा। संशोधन विधेयक के औचित्य पर आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य संजय सिंह ने सदन में नोटिस दिया था। उन्होंने विधेयक को गैर संवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताते हुए रोकने की मांग की। उनके इस भाषण के साथ ही सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार विरोधी नारेबाजी और हंगामा शुरू कर दिया। उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी.किशन रेड्डी को विधेयक पेश करने की अनुमति दी। भारी शोर शराबे के बीच रेड्डी ने विधेयक पेश करते हुए इसके औचित्य पर अपनी बात रखी।

खामियों को किया गया दुरुस्‍त

उन्होंने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जो संशोधन किया गया था, उसमें जो खामियां रह गई थीं, उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। सरकार कोई असंवैधानिक अथवा अलोकतांत्रिक कार्य नहीं कर रही है। केवल कानून में जो दुविधा अथवा भ्रम की स्थिति थी उसे ठीक किया जा रहा है। सदन में शोर होने की वजह से कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए उप सभापति सिंह ने सदन से कहा कि मंगलवार को बनी आम सहमति के आधार पर यह चर्चा कराई जा रही है। इस पर शोर शराबा नहीं होना चाहिए।

इसी बीच भाजपा के भूपेंद्र यादव विधेयक के समर्थन में बोलने खड़े हुए और कहा कि इस हंगामे के पीछे कांग्रेस का हाथ है। फिर क्या था, नेता प्रतिपक्ष खड़गे उठ खड़े हुए। उन्होंने कहा इसे बिहार विधानसभा मत बनाइए। लेकिन यादव बोलते रहे। उन्होंने कहा यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप लाया गया है। संविधान सम्मत विधेयक है।

कांग्रेस पर बरसते हुए उन्होंने कहा केरल में वामपंथी दलों के खिलाफ लड़ रही हैं और बंगाल में वामपंथी दलों के साथ मिलकर टीएमसी से लड़ रही हैं। यही नहीं, राज्यसभा में टीएमसी के साथ मिलकर सदन नहीं चलने दे रही है। यह है कांग्रेस की रीति और नीति। सबको पता चल जाएगा।' यादव का पूरा भाषण शोर शराबे के बीच हुआ। कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के बोलने से पहले तक हंगामा जारी रहा। सदन थोड़ी-थोड़ी देर के लिए स्थगित होता रहा।

विधेयक के पास होने के बाद के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लिखा कि राज्‍यसभा ने GNCTD संशोधन विधेयक पारित किया। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन है। हम लोगों को सत्ता वापस दिलाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे। जो भी बाधाएं हैं, हम अच्छा काम करते रहेंगे। काम न तो रुकेगा और न ही धीमा होगा।

दिल्‍ली के उपमुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर लिखा कि आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला दिन है। दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छीन कर एलजी के हाथ में सौंप दिया गया। विडंबना देखिए कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया, जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी।


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