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अटल को क्यों था 'बहादुरा' से इतना लगाव, अब दोनों ही एक-दूजे के बिना अधूरे

अटल बिहारी वाजपेयी को ग्वालियर की कई खानें की चीजें पसंद थी, लेकिन दिल्ली में रहने के दौरान वे अक्सर पराठे वाली गली, सागर और चंगवा के यहां जाकर कुछ न कुछ जरूर खाते थे।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 02:27 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 08:46 AM (IST)
अटल को क्यों था 'बहादुरा' से इतना लगाव, अब दोनों ही एक-दूजे के बिना अधूरे
अटल को क्यों था 'बहादुरा' से इतना लगाव, अब दोनों ही एक-दूजे के बिना अधूरे

नई दिल्ली (जेएनएन)। अपनी भाषण शैली के लिए मशहूर और शायद देश के सबसे चर्चित राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी अपने जुदा अंदाज के लिए जाने जाते थे। वे एक कवि थे और कई कविताएं आसानी से सोशल मीडिया पर मिल जाएंगी, लेकिन यह बहुत कम लोग जानते होंगे कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी खाने के भी शौकीन थे। उन्हें मध्य प्रदेश के ग्वालियर की कई खानें की चीजें पसंद थी

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दौलतगंज की मंगौड़ी भी भाती थी अटल को
अपने चुटीले भाषणों से नेताओं के साथ आम लोगों को भी लुभाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के बहादुरा के बूंदी के लड्डू के अलावा दौलतगंज की मंगौड़ी भी बहुत पसंद थी। इसकी भी एक बड़ी वजह है कि अटल बिहारी ग्वालियर शहर के शिंदे की छावनी में जन्मे और वहीं पले-बढ़े थे। बचपन यहीं पर बीता था, इसलिए उन्हें यहां की दुकानों के बहादुरा के लड्डू खूब पसंद थे। ये लड्डू वे बड़े चाव से खाते थे।

बताया जाता है कि जन्म स्थली होने के चलते प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी जब भी ग्वालियर जाते तो यहां के लड्डू, जलेबी और कचौड़ी का स्वाद जरूर लेते थे। इतना ही होली के दौरान ठंडई और दिवाली त्योहार में वे यहां की बनी मिठाई जरूर खाते थे।

खिचड़ी भाती थी, लेकिन मालपुआ भी था पसंद
अटल बिहारी को खिचड़ी, खीर और मालपुआ बहुत पसंद था। वे खाना खाने के बाद मिठाई की मांग जरूर करते थे। यह भी बड़ी बात है कि उनकी मांग को उनके समर्थक पूरा करते थे। समर्थक ग्वालियर आने पर उनकी पसंद और नापसंद का ख्याल रखते थे।

वाजपेयी भी आते थे पराठे वाली गली
दिल्ली में रहने के दौरान वे अक्सर पराठे वाली गली, सागर और चंगवा के यहां जाकर कुछ न कुछ जरूर खाते थे। खासकर पराठे वाली गली से उनका बहुत लगाव भी था। चांदनी चौक के पराठे वाली गली से अटल बिहारी का नाता था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू व उनकी बेटी इंदिरा गांधी भी पराठों का स्वाद लेने यहां पहुंचे थे। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इन पराठों का स्वाद चखा था। छह पीढ़ियों से चली आ रही यहां की चार दुकानें 100 साल से भी अधिक पुरानी हैं।

अंतिम दिनों में बदल गया था खानपान
पिछले एक दशक से अटल बिहारी बाजपेयी का स्वास्थ्य बेहद खराब था। एक समय ऐसा भी आया कि खान-पान के बेहद शौकीन अटल को खिचड़ी खाने लगे। नाश्ते में उन्हें द्रव ही दिया जाता था, तो दोपहर का खाना भी द्रव के रूप में ही होता थी। इसमें उन्हें जूस, दूध, चूरा की हुई ब्रेड, सब्जियों का सूप दिया जाता था। रात का खाना तो और भी हल्का होता था।

पसंद थे भीमसेन जोशी के भजन
साहित्यिक अभिरुचि का होने के चलते अटल बिहारी बाजपेयी को भीमसेन जोशी, अमजद अली खान का सरोद वादन और हरि प्रसाद चौरसिया की बांसुरी सुनना प्रिय था।

'तीसरी कसम' थी उनकी प्रिय फिल्म
अटल हिंदी फिल्में कम ही देखते थे, लेकिन जब भी देखते तो क्लासिक फिल्म ही देखते। राज कपूर-वहीदा रहमान अभिनीत 'तीसरी कसम', अशोक कुमार-नूतन की 'बंदिनी' और दिलीप कुमार-सुचित्रा सेन और बैजयंती माला अभिनीत 'देवदास' उनकी प्रिय फिल्मों में थी, जिन्हें उन्होंने कई बार देखी थी।

हिंदी में निराला तो उर्दू में फैज मोहम्मद फैज को पढ़ना पसंद था
अटल बिहारी वाजपेयी खुद कवि थे और उम्दा कविताएं लिखते थे, इसलिए अटल को सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, बाल कृष्ण शर्मा नवीन, जगन्ना प्रसाद मिलिंद और फैज मोहम्मद फैज उर्दू में पढ़ना पसंद था।


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