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महिला आरक्षण के मुद्दे पर नवीन पटनायक ने अखिलेश यादव को लिखा पत्र

बीजू जनता दल और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने महिला आरक्षण के मुद्दे पर एनडीए को घेरने का सियासी दांव चला है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 08:57 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 09:04 PM (IST)
महिला आरक्षण के मुद्दे पर नवीन पटनायक ने अखिलेश यादव को लिखा पत्र
महिला आरक्षण के मुद्दे पर नवीन पटनायक ने अखिलेश यादव को लिखा पत्र

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राफेल के मुद्दे पर सरकार को घेरने के बाद मित्र दल रहे बीजू जनता दल ने अब महिला आरक्षण के मुद्दे पर एनडीए को घेरने का सियासी दांव चल दिया है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए बीजू जनता दल के अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखा है।

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बीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता और संसद सदस्य भृर्तहरि माहताब ने शनिवार को यह पत्र अखिलेश को सौंपा। पटनायक ने इस पत्र में संसद और विधान सभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के लिए कानून बनाने की मांग का समर्थन करने का अनुरोध किया गया है।

माहताब ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सपा के रुख में बदलाव आएगा और पार्टी संसद तथा विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए विधेयक का समर्थन करेगी। बीजद ने सभी दलों से इस विधेयक का समर्थन करने की अपील की है।

माहताब ने कहा कि इस साल देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। चूंकि गांधीजी महिला सशक्तिकरण के पक्षधर थे, इसलिए इस साल यह विधेयक पारित कर हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। यही वजह है कि बीजद प्रमुख ने सभी राष्ट्रीय दलों और लगभग डेढ़ दर्जन क्षेत्रीय दलों के प्रमुखों को पत्र लिखकर महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करने का आग्रह किया है।

वैसे बीजद ने महिला आरक्षण के मुद्दे पर यह मुहिम ऐसे समय शुरू की है जब विपक्ष राफेल के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर है। ऐसे में बीजद की इस कोशिश को महिला आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है। खासतौर पर यह देखते हुए कि ओडिशा में भाजपा सीएम पटनायक को मजबूत चुनावी चुनौती देने की तैयारी कर रही है।

गौरतलब है कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण के लिए एक विधेयक राज्य सभा में पेश किया था जो पारित भी हो गया लेकिन पंद्रहवीं लोकसभा भंग होने के कारण वह निचले सदन से पारित नहीं हो सका। ऐसे में अब एनडीए सरकार को लोकसभा में यह विधेयक नए सिरे से पेश करना होगा। भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने घोषणापत्र में भी महिला आरक्षण का वादा किया था।

उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद और विधान सभाओं में फिलहाल महिला सदस्यों का अनुपात बमुश्किल 10 प्रतिशत के आस-पास है। हालांकि कई देशों में यह स्तर काफी अधिक है।


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