राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा- लॉकडाउन में महिलाओं के साथ साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ींं
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं को सोशल मीडिया पर अपनी जानकारी और फोटो किसी से शेयर नहीं करना चाहिए। यह सुरक्षित नहीं है।
नई दिल्ली, एजेंसी। विशेषज्ञों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के साथ साइबर क्राइम की घटनाओं में अच्छी-खासी बढ़त देखने को मिली है। घरों में रहने को मजबूर अपराधी महिलाओं को ऑनलाइन ब्लैकमेल कर वसूली की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। देश में पहले चरण में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन लगाया गया। बाद में इसे 3 मई तक बढ़ा दिया गया। राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार अप्रैल माह में महिलाओं के साथ साइबर क्राइम की 54 रिपोर्ट ऑनलाइन प्राप्त हुईं। जबकि मार्च में इस तरह की 37 शिकायतें और फरवरी में मात्र 21 शिकायतें ही ऑनलाइन या डाक से प्राप्त हुई थीं।
अश्लील फोटो, वीडियो के जरिए ब्लैकमेल करने की शिकायतें बढ़ींं
इस समय लॉकडाउन के कारण सिर्फ ऑनलाइन शिकायतें ही प्राप्त की जा रही हैं। साइबर विशेषज्ञों का मानना है शिकायतों की यह संख्या वास्तविक मुकाबलों के सापेक्ष बहुत कम है। आकांक्षा फाउंडेशन की आकांक्षा श्रीवास्तव ने बताया कि हम लोगों को 25 मार्च से 25 अप्रैल के बीच कुल 412 शिकायतें मिलीं। इनमें से गंभीर प्रवृत्ति की 396 शिकायतें महिलाओं की ओर से मिलीं। इनमें से ज्यादातर शिकायतें अश्लील फोटो व वीडियो, अश्लील प्रस्ताव, धमकी, ब्लैकमेल, पैसा वसूली आदि से संबंधित थीं।
ऑनलाइन पर लगातार सक्रिय रहने से शातिर हो रहे हैं साइबर अपराधी
उन्होंने बताया कि हम लोगों को प्रतिदिन 20 से 25 शिकायतें मिल रहीं हैं। जबकि पहले हर दिन इस तरह की दस शिकायतें ही मिलती थीं। घरों में रहने को मजबूर अपराधियों की यह भड़ास है। वे इस तरह के अपराधों को अंजाम देकर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं। अपराधी महिलाओं के फोटो के साथ छेड़छाड़ कर उसे अश्लील बनाकर धमकियां दे रहे हैं। वे अपने खातों में पैसे भेजने की मांग करते हैं। मांग न मानने पर अश्लील फोटो वायरल करने की धमकी देते हैं।
लॉकडाउन में ऑनलाइन दोस्ती के चक्कर में लोग अपराधियों के जाल में फंस रहे हैं
साइबर पीस फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष विनीत कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने अथवा पैसे देने के लिए धमकाने की घटनाएं बढ़ गई हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में ऑनलाइन दोस्ती के चक्कर में लोग अपराधियों के जाल में फंस रहे हैं। अंतरंगता बढ़ने के बाद ये ही लोग ब्लैकमेल करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक के जरिए लोग एक-दूसरे से जुड़ तो जाते हैं, लेकिन ये लोग सुरक्षा उपायों का पालन करना भूल जाते हैं। लॉकडाउन के बाद इस तरह के मामलों में काफी वृद्धि देखने को मिली है।
महिलाओं को बदनामी का डर पुलिस के पास ले जाने से रोकता है
गलत सूचनाओं, फेक न्यूज के चक्कर में फंसकर महिलाएं गलत लिंक खोल बैठती हैं। ये मैलवेयर लोगों की पूरी जानकारी हैक कर लेते हैं। इनमें माइक्रोफोन व कैमरा भी आटोमैटिक चालू हो जाता है। कभी-कभी महिलाओं की दिनचर्या के निजी प्रसंग भी अपराधियों के हाथ लग जाते हैं। इन्हीं प्रसंगों को दिखाकर साइबर अपराधी वसूली का सिलसिला शुरू करते हैं। कई महिलाएं तो इस तरह की घटनाओं की शिकायत भी नहीं करतीं। विनीत कुमार ने बताया कि कई महिलाओं ने उनके पास शिकायत कर यह तक कहा कि वे इस मामले को निजी स्तर पर सुलझाने में मदद करें। वे खुद पुलिस के पास नहीं जाना चाहती थीं। महिलाओं को बदनामी का डर पुलिस के पास ले जाने से रोकता है।
लॉकडाउन के कारण अपराधी भी ऑनलाइन सक्रिय हैं
इन्फोसेक गर्ल्स की संस्थापक वंदना वर्मा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण ज्यादातर लोग ऑनलाइन काम कर रहे हैं। अपराधी भी ऑनलाइन सक्रिय हैं। लंबे समय तक आनलाइन रहने से वे और शातिर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को तकनीक से अच्छी तरह वाकिफ कराकर शिकार होने से बचाया जा सकता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा- महिलाओं में जानकारी का अभाव
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि महिलाओं में जानकारी का अभाव होता है। कोई वारदात होने पर उन्हें किससे संपर्क करना है यह पता नहीं होता, जबकि अब हर जिले में साइबर पुलिस का दफ्तर है। आवश्यकता प़़डने पर वे वहां से मदद ले सकती हैं। उन्होंने महिलाओं को साबिर स्पेस में सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सोशल मीडिया पर अपनी जानकारी और फोटो किसी से शेयर नहीं करना चाहिए। यह सुरक्षित नहीं है। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कभी-कभी जान पहचान वाले भी इन जानकारियों का दुरुपयोग कर लेते हैं।