कृषि कानून को लेकर विपक्ष में स्पष्टता नहीं, सरकार चर्चा के लिए तैयार: नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चाहे कृषि का विषय हो या कोविड का सभी पर सरकार चर्चा के लिए तैयार है। कृषि के मामले में सरकार पूरी तरह पारदर्शी है। हमने कृषि कानून बनाते समय भी लोकसभा और राज्यसभा में 4 घंटे चर्चा की।
नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चाहे कृषि का विषय हो या कोविड का सभी पर सरकार चर्चा के लिए तैयार है। जो विषय उन्हें (विपक्ष) रखना है रखें। सरकार जवाब देगी। कृषि के मामले में सरकार पूरी तरह पारदर्शी है। हमने कृषि कानून बनाते समय भी लोकसभा और राज्यसभा में 4 घंटे चर्चा की। उनका दृष्टिकोण क्या है और वे किस दृष्टिकोण के आधार पर आगे बढ़ना चाहते हैं इस मामले में उनके अपने मन में स्पष्टता नहीं है। हम सदन में चर्चा के लिए तैयार हैं।
Delhi | Govt is wholly transparent regarding the farm laws. We discussed the issue for 4 hours in Lok Sabha and Rajya Sabha. We have given answers to their questions as well. However, they(opposition) are not clear about what they want: Narendra Singh Tomar, Agriculture Minister pic.twitter.com/iILmDhC2mS
— ANI (@ANI) August 4, 2021
पिछले दिनों संसद में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें किसानों की चिंता है तो सदन में कामकाज होने दें। जिस समय तोमर यह बात कह रहे थे, उस समय भी विपक्षी सदस्य पेगासस जासूसी से जुड़े आरोपों और कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर अपनी नारेबाजी जारी रखे थे। तोमर ने कहा कि किसानों से जुड़े करीब 15 सवाल हैं। अगर विपक्षी सदस्यों को वास्तव में किसानों की चिंता है तो उन्हें सरकार की बात सुननी चाहिए।
उन्होंने कहा कि लगातार व्यवधान सदन की मर्यादा को कम कर रहा है। बता दें कि किसान यूनियन तीनों कृषि कानूनों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। सरकार जहां इन्हें उनके हित में बता रही है, वहीं कुछ किसान यूनियन का कहना है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडियों को खत्म कर देंगे और उन्हें बड़े कारपोरेट घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
दिलाई घोषणा पत्र की याद
पिछले दिनों कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस पर करारा पलटवार किया था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को गांव, गरीब, किसान के बारे में कोई अनुभव और दर्द नहीं है। राहुल गांधी को सोचना चाहिए कि जब आपने अपने घोषणापत्र में इन्हीं कानूनों (कृषि कानूनों) को लाने के लिए कहा था तो आप उस समय झूठ बोल रहे थे या आज झूठ बोल रहे हैं।