जम्मू कश्मीर में मुर्मू की चुनौतियां शुरू, मोदी-शाह के कश्मीर मिशन को पूरा करने की दी गई जिम्मेदारी
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मुख्तार अहमद बाबा ने कहा कि उपराज्यपाल जीसी मुर्मू को मोदी-शाह के कश्मीर मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। शीतकालीन राजधानी जम्मू में सोमवार को सचिवालय खुलने के साथ ही जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू के लिए प्रशासनिक चुनौतियों का दौर भी शुरू हो गया है। इसमें आतंकवाद से लड़ाई सबसे अहम है। उन्हें राज्य में राजनीतिक गतिविधियों को शुरू करने, विधानसभा चुनावों के लिए जमीन तैयार करना, संभागीय पक्षपात को दूर करना और आतंकवाद पर काबू पाते हुए गुमराह युवकों को मुख्यधारा में शामिल करने जैसी समस्याओं से निपटना होगा। इसके अलावा कश्मीर में सामान्य जनजीवन को पूरी तरह बहाल कर विकास व रोजगार को प्रोत्साहित करना भी उनकी जिम्मेदारी होगी।
जीसी मुर्मू को नो-नॉनसेंस वाला और चुपचाप अपने काम को अंजाम देने वाला नौकरशाह माना जाता है। उन्हें लीगल स्ट्रेटजिक एक्सपर्ट माना जाता है। कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि मुर्मू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। मुर्मू को अच्छी तरह पता है कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री क्या चाहते हैं। देखना यह है कि वह जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाए जाने पर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा किए गए दावों को कैसे पूरा करते हैं। जम्मू-कश्मीर में विशेषकर कश्मीर में बीते तीन माह से लगभग बंद जैसा माहौल है, निजी क्षेत्र से जुड़े सैकड़ों लोगों का रोजगार समाप्त हो चुका है, व्यापारी वर्ग परेशान है। वह यहां बाजार कितनी जल्द खुलवाते हैं, रोजगार के अवसर कैसे पैदा करते हैं और बाहर से निजी पूंजी निवेश को किस हद तक आकर्षित कर पाते हैं, यह उनकी प्रशासनिक कार्यकुशलता पर निर्भर करेगा।
कश्मीर मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मुख्तार अहमद बाबा ने कहा कि जीसी मुर्मू को मोदी-शाह के कश्मीर मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस मिशन के तहत उन्हें पहले यहां हालात सामान्य बनाने और फिर राजनीतिक गतिविधियों बहाल करानी हैं। जब तक यहां मुख्यधारा की राजनीतिक गतिविधियां शुरू नहीं होंगी, तब तक विधानसभा का गठन बहुत मुश्किल है। मौजूदा हालात में नेकां, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस जैसे दलों को बदले समीकरणों में फिर से सियासत में नए नारे के साथ जो पूरी तरह दिल्ली के नैरेटिव को पूरा करता हो, के साथ सियासत करने के लिए तैयार करना बहुत मुश्किल है। ऐसे हालात में उनके लिए यहां नए राजनीतिक चेहरों और संगठनों को तैयार करना जरूरी हो जाएगा। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पहले ही कई बार कह चुके हैं कि कश्मीर में एक नया राजनीतिक नेतृत्व शुरू होगा। इस नेतृत्व को सामने लाना मौजूदा उपराज्यपाल के लिए चुनौती है।
मुर्मू से लोगों को बड़ी उम्मीद
फ्रेंड्स ऑफ साउथ एशिया नामक संगठन के संयोजक सलीम रेशी ने कहा कि जीसी मुर्मू से लोगों को बहुत उम्मीद हैं। उन्होंने गत शनिवार को बारामुला और अनंतनाग का दौरा किया। इसके पूर्व सचिवालय में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक में प्राथमिकताएं गिनाई, जिसके आधार पर हम कह सकते हैं कि वह अपने एजेंडे को लेकर बहुत स्पष्ट हैं। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से सीधे शब्दों में कहा कि वह ईमानदारी और पारदर्शिता के आधार पर काम करें। जनता के साथ लगातार संवाद करें, तभी जन सेवाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंचेगा।
आतंकियों की नई भर्ती रोकना सबसे अहम
कश्मीर में आतंकवाद पर काबू पाना, नए लड़कों की आतंकी संगठनों में भर्ती रोकना उपराज्यपाल के लिए सबसे अहम है। आतंकवाद में कमी से ही कानून व्यवस्था में सुधार होगा। अगर वह युवाओं की आतंकी भर्ती पर रोक लगाने में कामयाब रहते हैं तो उनकी अन्य चुनौतियां भी आसानी से पूरी होंगी।
गुजरात में कई मुद्दों पर दिखा चुके काबिलियत
कश्मीर मामलों के एक विशेषज्ञ ने बताया कि मुर्मू अपनी काबिलियत का परिचय इशरत जहां मुठभेड़ कांड, गुजरात दंगों और अमित शाह स्नूपगेट मामले में दे चुके हैं। इस समय जम्मू-कश्मीर में एक लीगल स्ट्रेटजिक प्रशासक चाहिए और इसलिए उन्हें यहां भेजा गया है। अब देखना यह है कि वह अपनी इस काबलियत को कैसे साबित करते हैं।