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MP Politics: शिवराज सिंह के सीएम बनते ही मप्र में मंत्री बनने की रेस तेज, विधायकों ने साधे समीकरण

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक भी अपने-अपने लिए गोटियां बिछा रहे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 23 Mar 2020 08:43 PM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2020 01:43 AM (IST)
MP Politics: शिवराज सिंह के सीएम बनते ही मप्र में मंत्री बनने की रेस तेज, विधायकों ने साधे समीकरण
MP Politics: शिवराज सिंह के सीएम बनते ही मप्र में मंत्री बनने की रेस तेज, विधायकों ने साधे समीकरण

आनन्द राय, भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने आज सीएम पद की शपथ ली। शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनने के साथ ही नई सरकार में भी जगह बनाने की जंग शुरू हो गई है। शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके भाजपा के कई विधायक जोड़-तोड़ में सक्रिय हो गए हैं। वहीं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक भी अपने-अपने लिए गोटियां बिछा रहे हैं। संकेत साफ हैं कि नई सरकार में सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ ही बागियों को दिए गए वचन की भी झलक दिखेगी।

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नरोत्तम को मिलेगा तोहफा

कांग्रेस की कमल नाथ सरकार गिराने में शिवराज सिंह चौहान के अलावा पूर्व मंत्री नरोत्त्तम मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पार्टी नरोत्त्तम को इसका तोहफा जरूर देगी, वहीं नेता प्रतिपक्ष रहे गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, वरिष्ठ विधायक अरविंद सिंह भदौरिया, राजेंद्र शुक्ला, विश्वास सारंग, संजय पाठक, कमल पटेल, विजय शाह, हरिशंकर खटीक, गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई जैसे भाजपा के कई विधायक हैं, जिनके मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के पूरे आसार हैं।

नई सरकार में प्रदेश के सभी संभागों से मंत्री बनाने के साथ क्षत्रिय, ब्राह्मण, पिछड़े, अनुसूचित जाति और आदिवासी समाज को प्राथमिकता दी जाएगी। संतुलित होगा मंत्रिमंडल प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि नई सरकार में संतुलित मंत्रिमंडल होगा, जिसमें क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन के साथ ही अनुभवी और युवा चेहरों को भी मौका मिलेगा। साथ ही कांग्रेस छोड़कर जो नए नेता जुड़े हैं, उनके साथ भी प्रतिबद्धता निभाई जाएगी।

बागियों को शपथ दिलाने में सिंधिया की होगी अहम भूमिका

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों के इस्तीफा देने से ही भाजपा को सरकार बनाने का अवसर मिला। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक इन पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों को नई सरकार में तरजीह मिलना तय है। भाजपा की इनसे प्रतिबद्धता भी है। हालांकि चयन प्रक्रिया में ज्योतिरादित्य की अहम भूमिका होगी।

सिंधिया पिछली सरकार में तुलसी सिलावट को उप-मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन अब नई परिस्थितियों में सबके साथ संतुलन बनाने की चुनौती होगी। फिलहाल पहले ही चरण के विस्तार में इनका समायोजन होना है। ऐसे में तुलसी सिलावट के अलावा पिछली सरकार में मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी को मौका मिल सकता है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि विद्रोह को हवा देने वाले हरदीप सिंह डंग और बिसाहूलाल सिंह, एदलसिंह कंषाना जैसे पूर्व विधायकों को भी मौका देने के लिए नामों में हेरफेर हो सकता है।

22 से 25 सदस्यीय मंत्रिमंडल के संकेत

उधर सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों ने भी अपने-अपने समीकरण साधने शुरू कर दिए हैं। कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे प्रदीप जायसवाल तो पहले ही भाजपा सरकार में शामिल होने की बात कहकर माहौल गर्मा चुके हैं। बसपा और सपा के सदस्य भी दावेदारी में पीछे नहीं हैं। अन्य निर्दलीय विधायक भी जुगाड़ लगाने में जुट गए हैं। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 35 मंत्रियों का कोटा है, लेकिन संकेत यह भी है कि 22 से 25 सदस्यीय मंत्रिमंडल रहेगा। 


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