MP Politics: दरकते किले को बचाने सदन के बजाय संगठन को चुन सकते हैं कमल नाथ
मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद उपचुनाव में भी हार का सामना कर चुकी कांग्रेस में आने वाले दिनों में कुछ बदलाव दिख सकते हैं। सत्ता का वनवास खत्म करने के इरादे से कमल नाथ अब कुछ सिमटी हुई भूमिका का मन बना चुके हैं।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद उपचुनाव में भी हार का सामना कर चुकी कांग्रेस में आने वाले दिनों में कुछ बदलाव दिख सकते हैं। सत्ता का वनवास खत्म करने के इरादे से मजबूत होने की कोशिश में कमल नाथ अब पराजय के चलते कुछ सिमटी हुई भूमिका का मन बना चुके हैं। उन पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (पीसीसी) में से कोई एक पद छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि वे सदन के बजाय संगठन को चुन सकते हैं यानी वे नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ सकते हैं लेकिन पीसीसी अध्यक्ष बने रह सकते हैं। इससे संगठन के जरिये विधायक दल पर प्रभाव बनाए रखने की तैयारी में हैं।
नेता प्रतिपक्ष या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष में से एक पद छोड़ने का बढ़ा दबाव
दरअसल, विधानसभा की 28 सीटों पर उपचुनाव में 19 सीटों पर हार की फौरी समीक्षा में युवा पीढ़ी के नेताओं की अपेक्षा उभरकर सामने आई है। इसके चलते युवाओं को अवसर देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। इधर, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह सियासत में बने रहकर अपने पुत्रों के लिए भी जगह तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि कमल नाथ प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अपने सांसद पुत्र नकुल नाथ को संगठन की केंद्रीय राजनीति में सक्रिय करेंगे, वहीं दिग्विजय सिंह केंद्र में सक्रिय रहते हुए मध्य प्रदेश में अपने पुत्र पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह की राह आसान करते रहेंगे। इससे पार्टी में युवा नेताओं को मौका देने का संदेश भी जाएगा और इन वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी और पकड़ बनी रहेगी।
कांग्रेस में नहीं मिल रहा युवाओं को मौका
हालांकि एक मुश्किल यह भी है कि कमल नाथ भाजपा के मुकाबले अपनी टीम में ज्यादा युवाओं को तरजीह नहीं दे पा रहे हैं। इधर, भाजपा ने प्रदेश की कमान विष्णु दत्त शर्मा जैसे युवा नेता को सौंप रखी है। शर्मा भी अपनी टीम में युवाओं को ज्यादा मौका दे रहे हैं। कांग्रेस चुनाव में टिकट देने के लिए सर्वे की बात करती है लेकिन अंतत: ये टिकट क्षत्रपों के खाते से ही बंट जाते हैं। ऐसे में युवाओं का रुझान भी कम होता जा रहा है। पार्टी में युवाओं को अधिक मौका नहीं मिला तो कमल नाथ के लिए 2023 के विधानसभा चुनाव की चुनौती और मुश्किल हो सकती है।
दो पूर्व विधायकों ने पार्टी छोड़ी
कांग्रेस से लगातार जारी पलायन को भी पीढ़ी परिवर्तन के दबाव का हिस्सा माना जा रहा है। पिछले दिनों कांग्रेस के दो पूर्व विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ले ली है। इनमें एक अजय चौरे छिंदवाड़ा के ही हैं। चौरे अरण यादव के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते प्रभावी भूमिका में थे और उपचुनाव में ग्वालियर क्षेत्र के प्रभारी भी बनाए गए थे। कांग्रेस के कई युवा नेता अब खुलेआम बैठकों में यह मुद्दा उठा देते हैं, जिसमें पलायन न थमने के संकेत होते हैं। फिलहाल चौतरफा दबाव झेल रहे कमल नाथ जल्द ही एक पद को लेकर कोई फैसला ले सकते हैं।
मंगलवार को फिर दिया स्पष्टीकरण
कमल नाथ ने छिंदवाड़ा जिले के परासिया में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक के बाद एक बार फिर अपने आराम वाले बयान को लेकर स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि मैंने सौंसर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पूछा था कि अगर आप आराम करेंगे तो मैं भी आराम करूंगा। जो बात मैंने कही वह सबके सामने है। इस मामले में और कुछ मुझे नहीं कहना है।