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MP Ministers Portfolios Allocation: मप्र में मंत्रियों के विभाग बंटवारे पर खींचतान, कांग्रेस ने कसा तंज

मप्र में विभाग बंटवारे में हो रही देरी पर कांग्रेस ने भाजपा पर तंज कसा है। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि सौदे से सरकार बनी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 01:42 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 02:30 PM (IST)
MP Ministers Portfolios Allocation: मप्र में मंत्रियों के विभाग बंटवारे पर खींचतान, कांग्रेस ने कसा तंज

भोपाल, जेएनएन। मप्र के शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब विभागों के बंटवारे को लेकर गुत्थी उलझ गई है। विभागों के आवंटन को लेकर फंसे पेंच को सुलझाने के लिए दिल्ली में दो दिन से लगातार बैठकों में मंथन का सिलसिला चल रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। पहले वे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे से मिले और उसके बाद मप्र भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ लंबी बैठक की। कोशिश यह की जा रही है कि विभागों के बंटवारे के बाद किसी तरह का असंतोष न हो।

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भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों को सम्मानजनक विभाग मिलें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को भी वजनदार विभाग दिए जाएं। लगातार बैठकों की वजह से मुख्यमंत्री का भोपाल लौटने का कार्यक्रम भी दो बार बदला। वहीं  दो दिन चले मंथन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज दिल्ली से लौट आए हैं। उन्होंने कहा कि आज इस पर और काम करूंगा। हालांकि अब माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को वजनदार विभाग दिए जाएंगे। वहीं, गोपाल भार्गव, विजय शाह, भूपेंद्र सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया सहित अन्य वरिष्ठ मंत्रियों को भी महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने दो दिन दिल्ली में सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श में नए और वरिष्ठ मंत्रियों के बीच तालमेल बैठाने पर ही जोर दिया है।

उधर विभाग बंटवारे में हो रही देरी पर कांग्रेस ने भाजपा पर तंज कसा है। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि सौदे से सरकार बनी, सौदे से मंत्रिमंडल बना, सौदे से विभाग बांटे जाएंगे, ये प्रदेश का हाल है।

सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार का मामला जिस तरह से केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद सुलझा था, उसी तरह मंत्रियों के बीच विभाग के बंटवारे के मुद्दे को सुलझाने पर काम हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच इस मामले में भोपाल में प्रारंभिक चर्चा हुई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री रविवार को दिल्ली पहुंचे और उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की। सोमवार को मुख्यमंत्री ने पार्टी उपाध्यक्ष प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे के साथ विचार-विमर्श किया। इसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ लंबी बैठक की।

बड़े विभागों को लेकर खींचतान

बताया जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कुछ मंत्रियों को बड़े विभाग देने को लेकर खींचतान है। मुख्यमंत्री वरिष्ठ मंत्रियों को उनके कद और अनुभव के हिसाब से विभाग देना चाहते हैं, जबकि सिंधिया समर्थक मंत्री वजनदार विभाग चाहते हैं। वे किसी भी सूरत में कमल नाथ सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्रियों के पास जो विभाग थे, उनसे कमतर पर सहमत नहीं हैं।

उपचुनाव बना रहा आधार

दरअसल, प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें 16 ग्वालियर-चंबल संभाग में हैं। यहां सिंधिया की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इसी समीकरण को मद्देनजर रखते हुए मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों को स्थान दिया गया है। अब इसी आधार पर विभाग मांगे जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि राजस्व, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, महिला एवं बाल विकास, नगरीय विकास या पंचायत एवं ग्रामीण विकास जैसे विभाग सिंधिया समर्थक मंत्री चाहते हैं। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों भी वरिष्ठता के हिसाब से विभाग चाहते हैं। मुख्यमंत्री की कोशिश यही है कि दोनों के बीच तालमेल बन जाए, ताकि आगे किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित न हो। यही वजह है कि उनका भोपाल वापस आने का कार्यक्रम दो बार टला। पहले उनका तीन बजे वापस आने का कार्यक्रम था। इसे संशोधित कर साढ़े नौ बजे किया गया और फिर यह भी निरस्त हो गया।

गोविंद सिंह अपना विभाग तय नहीं कर पाए थे : नरोत्तम

प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कमल नाथ सरकार में डॉ. गोविंद सिंह अपना विभाग तय नहीं कर पाए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को राजस्व विभाग नहीं दिए जाने के पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह के बयान पर मिश्रा ने कहा कि इसकी चिंता उन्हें नहीं करना चाहिए। भाजपा सरकार में किसे कौन-सा विभाग दिया जाए, यह मुख्यमंत्री और भाजपा नेता तय करेंगे।


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