मोदी-चिनफिंग वार्ता का एजेंडा तय नहीं, चीन में प्रधानमंत्री का होगा जोरदार स्वागत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच की यह मुलाकात पूरी तरह से अनौपचारिक होगी।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। तीन दिनों बाद केंद्रीय चीन के औद्योगिक शहर वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात को वैसे तो अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है। लेकिन यह तय हो गया है कि दोनो नेताओं के बीच की यह मुलाकात पूरी तरह से अनौपचारिक होगी। इसमें दोनो देशों के रिश्तों में चुभने वाले मुद्दों का तत्काल हल निकालने की कोशिश से ज्यादा इन मुद्दों पर एक दूसरे के रुख को समझने की होगी। अगर सब कुछ ठीक रहा है तो दोनो देश अनौपचारिक तौर पर इस तरह की मुलाकात का सिलसिला आगे भी जारी रख सकते हैं।
संधि पर हस्ताक्षर करने पर नहीं, लंबी अवधि का भरोसा बनाने पर होगा जोर
एक दूसरे का पक्ष समझते हुए चुभने वाले मुद्दों पर भी होगी बात
मोदी का उनकी उम्मीद से भी बेहतर होगा स्वागत : चीन
अनौपचारिक होगी मुलाकात
इस मुलाकात की तैयारियों से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि भारत और चीन के शीर्ष नेताओं के बीच इस तरह की बातचीत पहले कभी नहीं हुई है जैसा कि मोदी व चिनफिंग के बीच वुहान में होने जा रही है। भारतीय पीएम ने कुछ अवसरों पर बेहद सीमित समय के लिए इस तरह की अनौपचारिक वार्ता की है लेकिन इस प्लानिंग के साथ भारत का भी यह पहला अनुभव होगा। यह बताता है कि दोनों देश एक दूसरे के रिश्तों को कैसा महत्व दे रहे हैं।
दोनों नेता इसे पूरी तरह से अनौपचारिक बनाने के पक्ष में है। इसलिए वार्ता में क्या मुद्दे उठेंगे इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई तैयारी नहीं की जा रही है। आम तौर पर दो शीर्ष नेताओं की वार्ता के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर होते हैं, वह भी इस बार नहीं होगा। लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं हुआ कि दोनो देशों के रिश्तों में जो मुद्दे अड़चन पैदा कर रहे हैं उनसे मुंह चुराने की कोशिश होगी। दोनो नेता अपनी मर्जी से मुद्दों को उठाने के लिए आजाद होंगे। हां, वार्ता के बाद न प्रेस विज्ञप्ति जारी होगी और न ही बयान दिया जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या वजहें थी जिसने दोनो देशों को अचानक ही शीर्षस्तरीय वार्ता के लिए प्रेरित किया है, उक्त सूत्र का जवाब था कि दोनो तरफ इस बात को स्वीकार किया जा रहा है कि सबसे बड़े पड़ोसी होने की वजह से वे एक दूसरे को नजरअंदाज नहीं कर सकते। दूसरी वजह हाल के कुछ महीनों में विश्व स्तर पर उपजी कुछ चुनौतियां भी हैं जिसने शीर्ष नेताओं को रिश्तो को नए नजरिए से देखने के लिए प्रोत्साहित किया है। लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं है कि दोनो नेता डोकलाम या इस तरह की अन्य समस्याओं को एक झटके में दूर करने की कोशिश करेंगे। कोशिश यह होगी कि लंबी अवधि के लिए एक समझ बूझ विकसित हो ताकि आपसी समस्याओं का जो भी समाधान निकाला जाए उसमें एक दूसरे के विचारों को सम्मान हो।
उधर, चीन की तरफ से भी कहा गया है कि राष्ट्रपति चिनफिंग मोदी का भव्य स्वागत करने की तैयारी में है। चीन के उप विदेश मंत्री कोंग शुआनयू ने कहा है कि, मोदी व भारतीय प्रतिनिधिमंडल का उनकी उम्मीदों से भी बेहतर स्वागत किया जाएगा। राष्ट्रपति चिनफिंग स्वयं ज्यादा से ज्यादा वक्त पीएम मोदी के साथ गुजारेंगे।