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रूस में मोदी की पुतिन से मुलाकात वैश्विक कूटनीति में नए धुव्रीकरण की ओर इशारा करती है

बेहद उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता के लिए सालाना शीर्षस्तरीय बैठक की एक अलग व्यवस्था है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 17 May 2018 10:44 PM (IST)Updated: Thu, 17 May 2018 10:44 PM (IST)
रूस में मोदी की पुतिन से मुलाकात वैश्विक कूटनीति में नए धुव्रीकरण की ओर इशारा करती है
रूस में मोदी की पुतिन से मुलाकात वैश्विक कूटनीति में नए धुव्रीकरण की ओर इशारा करती है

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। रूस के शहर सोची में अगले सोमवार पीएम नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से होने वाली मुलाकात वैश्विक कूटनीति में नये धुव्रीकरण की तरफ इशारा करती है। हाल के दिनों में अमेरिका की कई नीतियों से खफा भारत दशकों से आजमाये हुए अपने मित्र देश रूस की तरफ गर्मजोशी से बढ़ता दिख रहा है।

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मोदी से पहले जर्मन की चांसलर मार्केल और बाद में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रा से मिलेंगे पुतिन

अहम बात यह है कि मोदी से मुलाकात से तीन दिन पहले पुतिन जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल से और मोदी से मुलाकात के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रा से मिलने वाले हैं। ये सभी देश इरान के साथ परमाणु करार तोड़ने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एकतरफा फैसले से असहज है।

पुतिन से मुलाकात का फैसला जिस तरह से मोदी ने किया है उसे जानकार अमेरिका की तरफ से हाल के दिनों में उठाये गये कुछ ऐसे फैसले से जोड़ कर देख रहे हैं जिससे भारत के हितों पर काफी असर पड़ता है। मसलन, रूस पर अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध आयद करना। भारत अभी भी अपनी रक्षा जरुरत का तकरीबन 60 फीसद रूस से खरीदता है और बेहद महत्वपूर्ण एस-400 मिसाइल रोधी सिस्टम खरीदने को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत अंतिम दौर में है।

अमेरिकी प्रतिबंध के बाद भारत के लिए रूस से इन हथियारों को खरीदना मुश्किल हो सकता है। भारत ईरान पर प्रतिबंध लगाने के अमेरिकी फैसले से बहुत खुश नहीं है। यह अफगानिस्तान में भारत के दीर्घकालिक हितों के खिलाफ है। भारत ईरान के जरिए अफगानिस्तान को मजबूत कर वहां पाकिस्तान के असर को कम करने की रणनीति अख्तियार किये हुए है, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध के बाद यह काम मुश्किल हो जाएगा। भारतीय कामगारों पर प्रतिबंध लगाने, भारतीय दवाओं की राह रोकने संबंधी ट्रंप प्रशासन का फैसला भी भारत के गले नहीं उतर रहा।

बेहद उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता के लिए सालाना शीर्षस्तरीय बैठक की एक अलग व्यवस्था है। जून, 2017 में यह बैठक सेंट पीट्सबर्ग में हुई थी, इस वर्ष यह भारत में होने वाली है। ऐसे में सोची में दोनों नेताओं के बीच बातचीत का मुख्य फोकस स्थानीय और वैश्विक मुद्दे ही रहेंगे। लेकिन चूंकि रक्षा भारत व रूस के रिश्तों की एक खास धुरी है इसलिए उस पर निश्चित तौर पर ध्यान होगा।

उक्त सूत्रों के मुताबिक, भारत अपनी रक्षा तैयारियों की नीति किसी दूसरे देश से प्रभावित हो कर नहीं तैयार करता। इसके अलावा पुतिन व मोदी के बीच वार्ता में अफगानिस्तान की स्थिति, ईरान में भारत की मदद से तैयार बंदरगाह चाबहार के विकास, रूस की मदद से ईरान से होते हुए मध्य एशियाई देशों के बीच कनेक्टिविटी की परियोजनाओं पर भी वार्ता होगी।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक मोदी और पुतिन के बीच तकरीबन पांच-छह घंटे तक मुलाकात होगी। यह मुलाकात संभवत: दो दौर में होगी। मुलाकात पूरी तरह से अनौपचारिक होगी और दोनो नेता ज्यादातर समय बगैर अधिकारियों के ही वार्ता करेंगे।

बताया जा रहा है कि पीएम मोदी की इस तरह से अनौपचारिक वार्ता दुनिया के कुछ और देशों के प्रमुखों से भी हो सकती है। पिछले ही दिनों वे राष्ट्रपति शी चिनफिंग से इस तरह की मुलाकात के लिए चीन के शहर वुहान गये थे। हाल ही में यूरोप की यात्रा से लौटते हुए उन्होंने कुछ देर बर्लिन में रूक कर चासंलर मार्केल से ऐसी ही मुलाकात की थी।


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