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मोदी सरकार पूरी शिद्दत से पानी की प्लास्टिक बोतलों का विकल्प तलाशने में जुटी

पासवान ने प्लास्टिक के प्रभाव से होने वाली बीमारियों और पर्यावरण प्रदूषण के बारे में लोगों को जागरुक करने की सलाह दी है। रिसाइकिलिंग एक उपाय है लेकिन स्थायी समाधान नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 11:18 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 07:16 AM (IST)
मोदी सरकार पूरी शिद्दत से पानी की प्लास्टिक बोतलों का विकल्प तलाशने में जुटी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश को एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद उपभोक्ता मंत्रालय पूरी शिद्दत से प्लास्टिक की पानी की बोतलों का विकल्प तलाशने में जुट गई है। प्लास्टिक बोतल निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में लंबी चर्चा के बाद केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने पेप्सी, कोका कोला समेत कई दर्जन कंपनियों से तीन दिन में पेश में करने को कहा है।

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पासवान ने कहा कि प्लास्टिक बोतलों से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है, जिस पर नियंत्रण पाने के लिए उन्होंने निर्माता कंपनियों के मालिकों से सुझाव मांगा है। बैठक के बाद उपभोक्ता मंत्री पासवान पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पर एकमुश्त अथवा चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक कमेटी का गठन किया है।

पीने के पानी की प्लास्टिक बोतलों पर रोक लगाने के उपायों पर विचार करने के लिए पासवान ने संबंधित मंत्रालयों के अफसरों व निर्माता कंपनियों की बैठक बुलाई थी। इनमें उपभोक्ता मामले सचिव एके श्रीवास्तव, पर्यावरण, केमिकल, भारतीय मानक ब्यूरो, एफएसएसएआई और आईआरसीटीसी के अधिकारी वहां उपस्थित थे।

पासवान ने कहा कि पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने में प्लास्टिक की भूमिका सबसे अधिक है। इसके अलावा मानव और मवेशियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक साबित हो रहा है। गायों के पेट में भारी मात्रा में प्लास्टिक पाया जा रहा है, जिससे उनकी मौत हो जाती है।

प्लास्टिक की रिसाइकिलिंग कोई स्थायी समाधान नहीं है। पासवान ने कहा कि इसके विकल्प को तलाशने पर जोर देने की जरूरत है, जो इसके बराबर के ही खर्च का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल कागज के बोतलें बनाना संभव नहीं है। उसमें भी प्लास्टिक का मिश्रण जरूरी होता है।

सोमवार को हुई बैठक में कोई उचित समाधान नहीं ढूढ़ा जा सका है। इसीलिए सभी निर्माताओं से कहा गया है कि वे अपने-अपने सुझाव लिखित तौर पर 11 सितंबर तक मंत्रालय के सचिव को सौंपें, जिसे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले अंतर मंत्रालयी समिति और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा जाएगा।

पासवान ने प्लास्टिक के प्रभाव से होने वाली बीमारियों और पर्यावरण प्रदूषण के बारे में लोगों को जागरुक करने की सलाह दी है। रिसाइकिलिंग एक उपाय जरूर है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। इसके उपयोग पर पाबंदी ही एक मात्र कारगर उपाय है। रेल मंत्रालय में चलने वाले बोलत बंद पानी रेल नीर में भी प्लास्टिक बोतलों के उपयोग को रोकने पर विचार किया जा रहा है।

बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में आल इंडिया एसोसिएशन आफ नेचुरल मिनरल वाटर इंडस्ट्री के सचिव बेहराम मेहता ने कहा कि बोलत बंद पानी उद्योग में पालिथिलीन टेरेप्थैलेट (पीईटी) का उपयोग होता है, जिसका शत प्रतिशत रिसाइकिल होता है। इसका वैश्विक उपयोग होता है।

उन्होने कहा कि उद्योग में 92 फीसद रिसाइकिलिंग होती है, जो जल्दी ही 100 फीसद हो सकता है। एवीए नेचुरल मिनरल के प्रबंध निदेशक मेहता ने कहा कि यह उद्योग 30 हजार करोड़ रुपये के आकार का हो गया है। जबकि समूचा प्लास्टिक उद्योग का आकार 7.5 लाख करोड़ रुपये का पहुंच गया है। इससे सात करोड़ लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। मेहता ने जोर देकर कहा कि कागज, कांच और स्टील न इसके विकल्प बन सकते और न ही पर्यावरण के अनुकूल साबित होंगे।


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