उन्मादी भीड़ हिंसा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मोदी सरकार संसद में पेश करेगी विधेयक
एक साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को देश में बढ़ रही इस तरह की घटनाओं पर काबू पाने के लिए कानून लागू करने का निर्देश दिया था।
नई दिल्ली, आइएएनएस। उन्मादी भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) के खिलाफ केंद्र सरकार संसद के इसी सत्र में विधेयक लाने जा रही है। एक साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को देश में बढ़ रही इस तरह की घटनाओं पर काबू पाने के लिए कानून लागू करने का निर्देश दिया था। सूत्रों के अनुसार, संसद के मौजूदा सत्र में ही केंद्र विधेयक पेश कर सकता है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अफवाह फैलने के बाद हिंसक उन्माद फैलने की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए गृह मंत्रालय ने कानून मंत्रालय से मसौदा तैयार करने को कहा था। मसौदा तैयार करने से पहले कानून मंत्रालय को सतर्कता पूर्वक सोशल मीडिया से घटनाओं के बढ़ने की जांच करने को कहा गया था। देश में सोशल मीडिया के कम से कम दो करोड़ यूजर हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लेख करते हुए एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को केंद्र से कहा था कि आखिर कानून लागू करने में देरी क्यों की जा रही है।
लोकसभा में एआइएमआइएम प्रमुख ने कहा था, 'मैं गृह मंत्री (अमित शाह) से पूछना चाहूंगा कि आखिर उन्मादी भीड़ हिंसा पर कानून तैयार क्यों नहीं किया गया है? पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से उन्मादी भीड़ हिंसा पर कानून बनाने के लिए कहा था। यदि आप सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेशों को कानून में बदलना चाहते हैं तो इसे क्यों नहीं?'
ओवैसी ने कहा कि राजस्थान में पिछले दो वर्षो के दौरान भीड़ हिंसा की दो दर्जन घटनाएं घट चुकी हैं। राज्य ने उन्मादी भीड़ हिंसा के खिलाफ कानून लागू करने की योजना की घोषणा की है। इस महीने के शुरू में उत्तर प्रदेश के विधि आयोग ने विधेयक का मसौदा पेश किया है जिसमें उन्मादी भीड़ हिंसा में शामिल लोगों के लिए उम्रकैद सहित कठोर दंड की सिफारिश की गई है।
सूत्रों के अनुसार, कानून पुलिस को उन्मादी भीड़ हिंसा की घटनाओं में प्रभावी कार्रवाई करने के लिए बाध्य करेगा। इसके साथ ही सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक सूचनाओं खास कर घृणा संदेश से भरे वीडियो का प्रसार रोकने के लिए पुलिस कठोर कार्रवाई कर सकेगी।