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देश में एयरपोर्ट की तर्ज पर बसपोर्ट विकसित करने की मोदी सरकार की बड़ी योजना

बसपोर्ट बिलकुल एयरपोर्ट की तरह होंगे। बसपोर्ट से राज्य परिवहन निगम के अलावा निजी आपरेटर भी अपनी बसें चला सकेंगे।Mh

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 30 Sep 2018 07:09 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 12:08 AM (IST)
देश में एयरपोर्ट की तर्ज पर बसपोर्ट विकसित करने की मोदी सरकार की बड़ी योजना
देश में एयरपोर्ट की तर्ज पर बसपोर्ट विकसित करने की मोदी सरकार की बड़ी योजना

संजय सिंह, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में एयरपोर्ट की तर्ज पर बसपोर्ट विकसित करने की योजना में थोड़ा संशोधन किया है। अब नजीर के तौर पर प्रत्येक राज्य में एक बसपोर्ट का विकास केंद्र सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तहत करेगी। फिर उसी मॉडल के आधार पर राज्य सरकारों को अन्य बसपोर्ट का विकास स्वयं कराने को कहा जाएगा। सड़क मंत्रालय की ओर से इस बाबत नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

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पायलट प्रोजेक्ट के बाद राज्य स्वयं करा सकेंगे बाकी बसपोर्ट का निर्माण

पहले केंद्र सरकार ने राज्यों को बसपोर्ट का अपने स्तर पर निर्माण करने को कहा था, लेकिन कुछ राज्यों ने सुझाव दिया कि चूंकि बसपोर्ट की परिकल्पना एकदम नई है, लिहाजा पहले केंद्र को स्वयं नमूने के तौर पर हर राज्य में एक बसपोर्ट बनाना चाहिए और उसे चलाकर भी दिखाना चाहिए। इससे राज्यों को बसपोर्ट की स्थापना और संचालन के बारे में अनुभव हासिल होगा और वे इस योजना का सही ढंग से कार्यान्वयन कर सकेंगे।

हर राज्य में नमूने के तौर पर एक बसपोर्ट का निर्माण करेगा केंद्र

नए दिशानिर्देशों के अनुसार बसपोर्ट का विकास ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) अथवा पीपीपी के बीओटी ( बिल्ट, ऑपरेट एंड ट्रांसफर ) अथवा एचएएम ( हाइब्रिड-एन्यूटी मॉडल ) मॉडल पर हो सकता है। जो राज्य सरकारें अपने यहां बसपोर्ट स्थापित करने की इच्छुक हैं, उन्हें सबसे पहले जगह का चयन कर नोडल एजेंसी नियुक्त करनी होगी। इसके बाद उन्हें सड़क मंत्रालय द्वारा नियुक्त एजेंसी को प्रस्ताव भेजना होगा। इसमें बसपोर्ट के लिए चिह्नित स्थानों, जमीन और प्रशासनिक इंतजामों का ब्यौरा दिया जाएगा। राज्यों को इस बात पक्का वादा करना होगा कि बसपोर्ट सार्वजनिक तथा निजी दोनो तरह के बस आपरेटरों के लिए खुले होंगे।

सड़क मंत्रालय ने बसपोर्ट के निर्माण के बारे में संशोधित दिशानिर्देश जारी किए

इसके बाद केंद्रीय एजेंसी प्रस्ताव का मूल्यांकन कर प्री-फीजिबिलिटी अध्ययन प्रारंभ कराएगी। अध्ययन पूरा हो जाने पर राज्य द्वारा सुझाए गए विभिन्न स्थानों में सबसे उपयुक्त स्थान का चयन कर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराई जाएगी। और सबसे अंत में उचित निविदा प्रक्रिया के जरिए बसपोर्ट के निर्माण के लिए कंपनी अर्थात कंसेशनेयर का चयन होगा।

परियोजना के लाभार्जन की संभावनाओं के अनुसार कंपनी या तो निर्धारित दर पर केंद्र को प्रीमियम का भुगतान करेगी, अथवा उसे केंद्र की ओर से अनुदान प्राप्त होगा। जबकि परियोजना से प्राप्त होने वाला प्रीमियम पूरी तरह राज्य सरकार के खाते में जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण राज्यों को करना होगा। केवल असाधारण मामलों में ही केंद्र सरकार जमीन का अधिग्रहण करेगी। प्री-फीजिबिलिटी अध्ययन से लेकर कंपनी के चयन और परियोजना की निगरानी समेत तमाम खर्चे केंद्र द्वारा वहन किए जाएंगे।

सड़क मंत्रालय की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकारों से कहा गया है कि उन्हें डेवलपर को अधिक एफएआर ( फ्लोर एरिया रेशियो ) की अनुमति देनी चाहिए, ताकि वे बसपोर्ट के ऊपरी मालों पर होटल, मॉल और मल्टीप्लेक्स आदि का विकास कर बेहतर लाभप्रदता सुनिश्चित कर सकें। क्योंकि हो सकता है केवल बस आपरेटरों से होने वाली आय से उनका काम न चले और बसपोर्ट की हालत भी बस अड्डों जैसी हो जाए।

क्या है बसपोर्ट

बसपोर्ट बिलकुल एयरपोर्ट की तरह होंगे। जिस तरह एयरपोर्ट से सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया समेत निजी क्षेत्र की तमाम एयरलाइनें उड़ाने भर सकती हैं। उसी प्रकार बसपोर्ट से राज्य परिवहन निगम के अलावा निजी आपरेटर भी अपनी बसें चला सकेंगे। जिस तरह एयरलाइने एयरपोर्ट बनाने व चलाने वाली कंपनी एयरपोर्ट शुल्क देती हैं, उसी प्रकार बस आपरेटर बसपोर्ट का निर्माण व संचालन करने वाली कंपनी को बसपोर्ट शुल्क अदा करेंगे।

बसपोर्ट में एयरपोर्ट की तरह वातानुकूलित लाउंज, चेक-इन, लगेज जांच, सिक्यूरिटी, डिस्प्ले, खान-पान, टायलेट व साफसफाई की अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक भारत में दो से ढाई हजार तक बसपोर्ट स्थापित हो सकते हैं।


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