नशे के खिलाफ छिड़ी मुहिम में मोदी सरकार को नहीं मिल रहा राज्यों का साथ
राज्यों के साथ नशे के खिलाफ छिड़ी मुहिम को लेकर समीक्षा की गई तो पता चला कि किसी भी राज्यों ने अब तक कुछ किया ही नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नशे के खिलाफ निर्णायक जंग को लेकर केंद्र भले ही उत्साहित है, लेकिन राज्यों का रवैया अभी भी इसे लेकर ढुलमुल सा ही बना हुआ है। यह स्थिति तब है, जब राज्यों को पैसा और प्लान दोनों ही दिया जा चुका है, बावजूद इसके अकेले तमिलनाडु को छोड़ दें तो किसी भी राज्य ने अब तक कुछ भी नहीं किया गया है। इनमें बिहार, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा जैसे कुछ ऐसे भी राज्य है, जिनके अब तक प्रस्ताव ही तैयार नहीं हुए है।
केंद्र राज्यों से नाखुश
फिलहाल केंद्र ने राज्यों के इस रवैए को लेकर भारी नाखुशी जताई है। हाल ही में राज्यों के साथ नशे के खिलाफ छिड़ी मुहिम को लेकर समीक्षा की गई। इस दौरान एक-एक राज्य से जानकारी ली गई, तो पता चला कि किसी भी राज्यों ने अब तक कुछ किया ही नहीं है।
नशे को लेकर राज्यों का रवैया ढीला
राज्यों का यह रवैया तब है, जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ज्यादातर राज्यों को मौजूदा वित्तीय वर्ष में दो- दो किश्तें जारी कर चुका है। इसके तहत अब तक करीब 57 करोड़ रुपए दिए जा चुके है। इसके तहत समाज में नशे को लेकर जागरूकता फैला है। हालांकि सूत्रों की मानें तो राज्यों की प्राथमिकता में अभी तक यह शामिल नहीं हो पाया है। यही वजह है कि राज्यों का रवैया सुस्त है।
नशे के खिलाफ केंद्र सरकार की मुहिम
नशे के खिलाफ केंद्र ने अपनी इस मुहिम को तेज करने का यह फैसला तब लिया है, जब देश के 135 जिलों में कराए गए सर्वे के बाद चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिले है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान( एम्स) की मदद से कराए गए इस सर्वे में नशे के खिलाफ तुरंत जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की गई है। इनमें जागरूकता के साथ इसकी गिरफ्त में गंभीर रुप से फंसे लोगों का तुरंत इलाज कराना शामिल है।
पंजाब और हरियाणा को दी गई थी सबसे ज्यादा मदद
नशे के खिलाफ छेड़ी गई इस मुहिम में केंद्र का सबसे ज्यादा फोकस पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश सहित पूर्वोत्तर के राज्यों पर है। यही वजह है कि इन राज्यों को तुरंत ही काम शुरू करने के लिए कहा गया था। फिलहाल इसके लिए राज्यों को 57 करोड़ की जो मदद जारी की गई है, उनमें सबसे ज्यादा करीब 11 करोड़ अकेले पंजाब को दिए गए है। इसके साथ ही करीब साढ़े छह करोड़ हरियाणा और सवा दो करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश को दिया गया है। वहीं बिहार के लिए भी 2.25 करोड़ स्वीकृत किए है, लेकिन प्रस्ताव न मिलने के चलते उन्हें सिर्फ 1.12 करोड़ रुपए की पहली किश्त ही दी गई है।