ओबीसी आरक्षण पर रोहिणी आयोग के कार्यकाल को बढ़ाने पर पशोपेश में मोदी सरकार
सरकार ओबीसी की सभी जातियों तक आरक्षण का सामान लाभ पहुंचाना चाहती है। सरकार ने आयोग का गठन दो अक्टूबर 2017 को किया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरक्षण के बाद ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की पिछड़ी रह गई जातियों का पता लगाने के गठित जस्टिस रोहिणी आयोग के कार्यकाल को लेकर सरकार एक बार फिर दुविधा में है। मंत्रालय के स्तर पर इसे लेकर मंथन शुरु हो गया है।
31 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा आयोग का कार्यकाल, आयोग को मिल चुके हैं कई विस्तार
यह स्थिति तब है जब आयोग का कार्यकाल अगले महीने यानि 31 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा है। खासबात यह है कि आयोग को इस काम के लिए अब तक दो साल से ज्यादा का समय मिल चुका है। हालांकि इसका गठन छह महीने के भीतर अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देने को लेकर किया गया था।
आयोग के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला करेगा पीएमओ
आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आयोग ने पूरा ब्यौरा जुटा लिया है। राज्यों के साथ इसे लेकर चर्चा भी हो चुकी है। ऐसे में अब सिर्फ अंतिम रिपोर्ट आना बाकी है। हालांकि यह सरकार के रूख पर निर्भर है। यही वजह है कि मंत्रालय ने पूरे मामले को पीएमओ के हवाले कर दिया है। ऐसे में आयोग के कार्यकाल को और भी आगे बढ़ाने का फैसला वहीं से होना है। आयोग ने आंकलन का आधार उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों को बनाया है।
आयोग ने घर-घर जाकर सर्वे की योजना से मारी पलटी
हालांकि इस बीच आयोग ने जिस तरीके से अपने घर-घर जाकर सर्वे की योजना से हाथ पीछे खींचा था, उससे लग रहा है कि शायद ही अब आयोग को अगला विस्तार दिया जाए। बता दें कि पिछले साल आयोग ने घर-घर जाकर सर्वे की भी एक योजना बनाई थी। इसे लेकर सरकार से दो सौ करोड़ रुपए की मांग भी की थी।
देश में ओबीसी की 25 सौ जातियों में से सिर्फ चार जातियां तक ही सिमटा है आरक्षण का लाभ
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक देश में ओबीसी की मौजूदा समय में करीब 25 सौ जातियां है, लेकिन एक आंकलन के मुताबिक इन्हें मिलने वाले आरक्षण का लाभ सिर्फ तीन से चार जातियां तक ही सिमटा हुआ है।
सरकार ओबीसी की सभी जातियों को आरक्षण का सामान लाभ पहुंचाना चाहती है
सरकार ओबीसी की सभी जातियों तक आरक्षण का सामान लाभ पहुंचाना चाहती है। ओबीसी की पिछड़ी जातियों का पता लगाने के लिए सरकार ने आयोग गठित करने का यह फैसला 23 अगस्त 2017 को लिया था। जबकि इसका गठन बाद में दो अक्टूबर 2017 को किया गया था। इसके तहत दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी रोहिणी को इसका अध्यक्ष बनाया गया है।