देश के बीस उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने में जुटी मोदी सरकार
मौजूदा समय में देश में 800 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं, लेकिन इनमें से विश्व स्तरीय रैकिंग में टाप 100 और 200 में एक-दो संस्थान ही आते है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के बीस उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने में जुटी सरकार ने पहली खेप में आईआईटी दिल्ली, मुंबई व बेंगलुरू सहित देश के छह उच्च शिक्षण संस्थानों को इसके योग्य पाया है। इनमें रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट, मनीपाल एकेडमी और बिट्स पिलानी भी शामिल है। सरकार ने लंबी चयन प्रक्रिया के बीच इन संस्थानों के चयन को अंतिम रुप दिया है।
सरकार ने इनके नामों की भी जल्द घोषणा करने के संकेत दिए है। संस्थानों के इस चयन में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम जियो इंस्टीट्यूट का है, जिसे अभी अस्तित्व में आना है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को ट्वीट कर उत्कृष्ट संस्थानों के चयन की यह जानकारी दी। साथ ही उम्मीद जताई है कि इस पहल से आने वाले दिनों में उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में देश में 800 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं, लेकिन इनमें से विश्व स्तरीय रैकिंग में टाप 100 और 200 में एक-दो संस्थान ही आते है। ऐसे में नई पहल से विश्वस्तरीय रैकिंग में भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ेगी।
उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की इस प्रस्तावित योजना के तहत पांच सालों में सरकार को बीस उच्च शिक्षण संस्थानों को इसके लिए चयनित करना है। इनके तहत दस सरकारी और दस निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थानों का चयन होना है। सरकार ने इसके लिए देश भर से सभी संस्थानों से प्रस्ताव मांगे थे। इसके तहत 114 संस्थानों ने रुचि दिखाई थी, लेकिन पहली खेप में आईआईटी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू सहित सिर्फ छह संस्थानों को ही इसके योग्य पाया गया है।
योजना के तहत इनमें से चयनित होने वाले सरकारी संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए सरकार अगले पांच सालों में प्रत्येक संस्थान पर एक हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। जबकि निजी संस्थानों को इसके लिए अपने स्तर पर ही पैसा जुटाना होगा।
संस्थानों का यह चयन उनके इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधन, शोध कार्यो की गुणवत्ता, शिक्षकों की संख्या और विदेशी छात्रों की संख्या के आधार पर किया गया है। इसके लिए यूजीसी ने एक कमेटी का गठन किया है। जो अलग-अलग मापदंडों पर संस्थानों का आंकलन करती है।
योजना के तहत विश्वस्तरीय संस्थानों को सरकार ज्यादा स्वायत्ता देगी। साथ ही ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने की आजादी भी देगी, जो कौशल विकास को बढ़ाने वाला और विश्वस्तरीय होगी।