मोदी सरकार गरीब सवर्णों को भी सरकारी नौकरियों में उम्र में दे सकती है तीन साल की छूट
गरीब सवर्णो को आरक्षण के साथ ही सरकारी नौकरियों की उम्र में भी छूट का मुद्दा राज्यसभा में भी उठा। बिहार से भाजपा सांसद सतीश चंद्र दूबे ने इसे प्रमुखता से उठाया। मांग की कि गरीब सवर्णो को भी सरकारी नौकरियों में उम्र में छूट दी जाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण का लाभ देने के बाद सरकार अब उन्हें सरकारी नौकरियों की उम्र में भी छूट देने की तैयारी में है। यह ओबीसी के समान करीब तीन साल की हो सकती है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने कार्मिक मंत्रालय को फिर लिखी चिट्ठी
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने लंबे विचार विमर्श के बाद कार्मिक मंत्रालय को फिर से चिट्ठी लिखकर इस पर जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया है। अभी सरकारी नौकरियों में सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को ही उम्र में छूट मिलती है। इनमें एससी- एसटी को पांच साल और ओबीसी को तीन साल की छूट मिली हुई है।
बिहार चुनाव के पहले मोदी सरकार ले सकती है निर्णय
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो सरकार जल्द ही इसे लेकर निर्णय ले सकती है। वैसे भी बिहार से जिस तरीके से यह मांग प्रभावी ढंग उठ रही है, उसमें संभव है कि इसका निर्णय बिहार चुनाव के पहले ही कर दिया जाए। फिलहाल यह मांग सामान्य वर्ग के आर्थिक रुप से पिछड़ों को दस फीसद आरक्षण दिए जाने के बाद से ही उठने लगी थी। जिसमें कहा गया था कि आरक्षण का सही लाभ तभी मिलेगा, जब एससी-एसटी और ओबीसी की तरह सरकारी नौकरियों के लिए उम्र में भी छूट दी जाए।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने कार्मिक मंत्रालय को दिलाई याद
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक इसे लेकर नए साल की शुरूआत में ही कार्मिक मंत्रालय को प्रस्ताव दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में कार्मिक मंत्रालय की ओर निर्णय में देरी होते हुए फिर से स्मरण कराया है।
गरीब सवर्णों को उम्र में तीन साल की छूट का फार्मूला ओबीसी से निकाला गया
गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों के लिए उम्र में तीन साल की छूट का यह फार्मूला ओबीसी को दी गई छूट से ही निकाला गया है। वैसे भी इन्हें आरक्षण देने का फार्मूला भी ओबीसी की तर्ज पर तैयार किया गया है। जिसमें दोनों ही आय सीमा एक बराबर ही आठ लाख रखी गई है। गौरतलब है कि सरकार ने गरीब सवर्णो को दस फीसद आरक्षण देने का यह फैसला जनवरी 2019 में आम चुनाव से ठीक पहले ही लिया था।
राज्यसभा में भी उठा मुद्दा, उम्र के साथ फीस में भी रियायत की मांग
गरीब सवर्णो को आरक्षण के साथ ही सरकारी नौकरियों की उम्र में भी छूट का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में भी उठा। बिहार से भाजपा सांसद सतीश चंद्र दूबे ने शून्य काल के दौरान इसे प्रमुखता से उठाया। साथ ही मांग की कि गरीब सवर्णो को भी सरकारी नौकरियों में उम्र में छूट दी जाए। साथ ही शुल्क में भी रियायत की जाए। वैसे भी यह सभी आर्थिक आधार पर पिछड़े है। ऐसे में जल्द ही इस पर फैसला लिया जाए।