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    Modi Cabinet 2024: JDU-TDP या BJP, किसे मिलेगा लोकसभा अध्यक्ष का पद? आखिर क्यों फंसा है पेच

    Updated: Mon, 10 Jun 2024 03:09 PM (IST)

    Modi Cabinet 2024 मोदी के पीएम पद की शपद लेने के बाद उनके 72 मंत्रियों (Modi Cabinet 2024) ने भी बीते दिन शपथ ली। अब इस बार लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) पद किसे मिलेगा इस पर सबकी नजर है। किंगमेकर कही जाने वाली पार्टियां टीडीपी और जेडीयू दोनों ही इस पद पर अपनी निगाहें लगाए है ऐसा क्यों है आइए जानें।

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    Modi Cabinet 2024 स्पीकर पद को लेकर माथापच्ची।

    जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद मोदी ने बीते दिन पीएम पद की शपथ ली। मोदी के साथ उनके 72 मंत्रियों (Modi Cabinet 2024) ने भी शपथ ली। कैबिनेट की शपथ के बाद अब विभागों के बंटवारों को लेकर बैठकें होने वाली है, जिसके बाद पता चलेगा कि किसको कौन सा पोर्टफोलियो मिलने वाला है।

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    TDP और JDU की अध्यक्ष पद पर नजर

    हालांकि, एक और सवाल सबसे अहम हो गया है कि इस बार लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) पद किसे मिलेगा। कई रिपोर्टों में ये सामने आया है कि भाजपा के सहयोगी दल और किंगमेकर कही जाने वाली पार्टियां टीडीपी और जेडीयू दोनों ही इस पद की मांग भाजपा से कर चुके हैं। दूसरी ओर भाजपा इसे किसी को भी देने की इच्छुक नहीं है। 

    सहयोगी दलों को इस पद की आस क्यों?

    टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार स्पीकर (Lok Sabha Speaker) का पद राजनीतिक 'बीमा' के तौर पर देख रहे हैं। दरअसल, पिछले कुछ सालों में सत्तारूढ़ दलों के भीतर विद्रोह के कई मामले सामने आए, जिसके चलते पार्टियों में ही विभाजन देखने को मिला है और कई जगह राज्य सरकारें भी गिर गईं।

    ऐसे मामलों में दलबदल विरोधी कानून लागू होता है और यह कानून सदन के अध्यक्ष को बहुत शक्तिशाली स्थिति देता है। कानून के अनुसार, सदन के अध्यक्ष के पास दलबदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार होता है। यही वजह है कि दोनों नेता इस पद पर नजर गढ़ाए हैं।

    क्यों अहम है अध्यक्ष पद?

    लोकसभा अध्यक्ष का पद काफी पेचीदा है, सदन को चलाने के लिए अध्यक्ष पद गैर-पक्षपाती माना जाता है, लेकिन इसे विशेष पार्टी के प्रतिनिधि ही चुनाव जीतने के बाद पद संभालते हैं। यहां तक की कांग्रेस के दिग्गज नेता एन संजीव रेड्डी ने चौथी लोकसभा के अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से इस पद पर सभी की निगाहें रहती है।