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मनरेगा के सहारे पार होगी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी जल शक्ति अभियान की नैया

मनरेगा के तहत 60 प्रतिशत राशि कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर खर्च करने का प्रावधान है। जिसमें 75 प्रतिशत काम जल सुरक्षा और जल संरक्षण के प्रयासों से संबंधित हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 09:28 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2019 09:28 PM (IST)
मनरेगा के सहारे पार होगी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी जल शक्ति अभियान की नैया
मनरेगा के सहारे पार होगी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी जल शक्ति अभियान की नैया

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार के महत्वाकांक्षी जल शक्ति अभियान की नैया मनरेगा के सहारे पार होगी। इस अभियान के दौरान जल संरक्षण के अधिकांश काम मनरेगा के तहत ही कराए जाएंगे। मनरेगा के तहत बीते पांच साल में 38 लाख से अधिक तालाब और पांच लाख से अधिक चैक डैम बन चुके हैं, इसलिए अभियान के तहत यह सुनिश्चित करने पर बल दिया जाएगा कि ये तालाब और चैक डैम बारिश के पानी से भर जाएं।

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सूत्रों के अनुसार सरकार ने जल शक्ति अभियान के तहत पानी बचाने के लिए कुल पांच प्रकार के कार्यो की योजना बनाई है, जिसमें से चार काम मनरेगा के जरिये कराए जाएंगे। जल संरक्षण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग, परंपरागत तालाबों और अन्य जलाशयों की मरम्मत, बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर और वृक्षारोपण का काम मनरेगा के तहत कराया जाएगा जबकि सिर्फ वाटरशेड डेवलपमेंट का काम इंटीग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत कराया जाएगा।

सूत्रों ने कहा कि पानी की कमी का सामना कर रहे 256 जिलों के 1593 ब्लॉक में इस अभियान के क्रियान्वयन और निगरानी के लिए तैनात किए गए अधिकारियों को इन कार्यो की सूची सौंप दी गई है।

नए तालाबों को भरने पर रहेगा जोर

ग्रामीण विकास मंत्रालय का कहना है कि वर्ष 2014 से 2019 के दौरान मनरेगा के तहत 20.03 लाख तालाब, 5.14 लाख कुएं, 5.22 लाख चैक डैम, 2.02 लाख तटबंध और 18.10 लाख खेत तालाब बनाए गए हैं।

सूत्रों का कहना है कि जिन तालाबों की संरचना तकनीकी रूप से ऐसी है कि जिसके चलते उन तक बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता, उन्हें अब मनरेगा के तहत दुरुस्त किया जाएगा। कुल मिलाकर अब फोकस नए तालाब बनाने के बजाय, मौजूदा तालाबों को भरने पर होगा।

बीते पांच साल में 143 लाख हेक्टेयर जमीन को हुआ फायदा

मंत्रालय का कहना है कि 2014 में मनरेगा की पहली अनुसूची में बदलाव किया गया था। इसके तहत कम से कम 60 प्रतिशत राशि कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर खर्च करने का प्रावधान है। इसका परिणाम यह हुआ कि मनरेगा के तहत फिलहाल जितने प्रकार के काम करने की अनुमति है उसमें से 75 प्रतिशत काम जल सुरक्षा और जल संरक्षण के प्रयासों से संबंधित हैं।

इसका नतीजा यह हुआ है कि बीते पांच साल में 143 लाख हेक्टेयर जमीन को फायदा हुआ है। मंत्रालय का कहना है कि मनरेगा जल शक्ति अभियान में एक प्रमुख भागीदार है और यह इसे सफल बनाने के लिए समर्पित है।


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