MP Politics: मप्र में मंत्री, विधायकों के रिश्तेदारों को मिलने लगी खास तैनाती
जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर में कुलसचिव पद पर तैनात प्रोफेसर आनन्द मिश्र प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्त्तम मिश्र के भाई हैं।
राज्य ब्यूरो, भोपाल। बहुत पुराना मुहावरा है, 'जिसकी लाठी, उसकी भैंस' सरकारों के साथ भी यह बड़ा सटीक बैठता है। सरकार में पहुंच वालों की भी इच्छा अनुरूप तबादला-तैनाती हो जाती है। मध्य प्रदेश की कमल नाथ सरकार के पतन और शिवराज सरकार के गठन के बाद नौकरशाही में तबादलों की शुरुआत तेजी से हुई, लेकिन, कोरोना के संकट ने इस पर ब्रेक लगा दिया। इस बीच जरूरत के हिसाब से तबादले होने के साथ ही कुछ मंत्री और विधायकों के रिश्तेदारों को भी खास तैनाती मिलने लगी है।
नरोत्त्तम मिश्र के भाई फिर बने जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलसचिव
कांग्रेस की सरकार बनी थी तो भी इसी तरह के प्रयोग हुए थे। जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर में कुलसचिव पद पर तैनात प्रोफेसर आनन्द मिश्र को हटाकर अशोकनगर जिले से 70 किलोमीटर दूर ग्राम सहरई के एक कॉलेज में पदस्थापित किया गया था। प्रो. मिश्र प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्त्तम मिश्र के भाई हैं। नरोत्त्तम के रिश्तेदारों को कांग्रेस सरकार में निशाना बनाया गया तो उस सरकार को गिराने में नरोत्त्तम ने सर्वाधिकऊर्जा लगाई। कमल नाथ सरकार गिरी और नरोत्त्तम शिवराज सिंह चौहान की सरकार में पूरी मजबूती से स्थापित हुए।
समय का चक्र बदला तो प्रो. आनन्द मिश्र को जीवाजी विश्वविद्यालय का फिर से कुलसचिव बना दिया गया। नरोत्त्तम मिश्रा ही क्यों, शिवराज सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले तुलसी राम सिलावट को भी सरकार ने उपकृत किया। सिलावट के भाई डॉ़ सुरेश टी सिलावट शासकीय होलकर विज्ञान महाविद्यालय, इंदौर में प्राचार्य हैं। उन्हें उच्च शिक्षा विभाग इंदौर संभाग के अतिरिक्त संचालक का प्रभार भी सौंप दिया गया है। कई अन्य लोगों को उपकृत किया जा रहा है।
पुराने अधिकारियों पर गिरी गाज
बताते हैं कि पूर्व मंत्री विजय शाह के भाई धनंजय शाह को इंदौर में एसपी, ईओडब्ल्यू का प्रभार मिल गया है। इसके पहले कई जिलों के डीएम, डीआइजी और महत्वपूर्ण पदों पर तैनात अधिकारी हटाए गए हैं। भाजपा नेताओं से मोर्चा खोलने वाले रीवा नगर निगम के आयुक्त सभाजीत यादव को रिटायरमेंट से कुछ समय पहले ही निलंबित कर दिया गया। माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी से त्यागपत्र ले लिया गया। अन्य ने भी भेज दी सिफारिशें सत्त्तापक्ष के विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने अपने-अपने रिश्तेदारों को स्थापित कराने के लिए मुख्यमंत्री तक अपनी सिफारिश भेज दी है और कोरोना संकट समाप्त होने के बाद बहुतों की मुराद पूरी होनी है।