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अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले को राजनीतिक रंग देकर बचना चाहता था क्रिश्चियन मिशेल

क्रिश्चियन मिशेल ने केस को राजनीतिक रंग देकर बचने का प्रयास किया। उसने दुबई सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि CBI उस पर जबरन यूपीए नेताओं का नाम लेने का दबाव बना रही।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 04:36 PM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 10:54 PM (IST)
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले को राजनीतिक रंग देकर बचना चाहता था क्रिश्चियन मिशेल

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। लंबी जद्दोजहद के बाद भारतीय जांच एजेंसियां देश के बहुचर्चित अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से प्रत्यर्पित करने में सफल हुई हैं। भारत सरकार के लिए जहां ये बड़ी उपलब्धि है, वहीं इस डील के बिचौलिए मिशेल के लिए ये एक तगड़ा झटका है। दरअसल मिशेल ने खुद को बचाने और प्रत्यर्पण रोकने के लिए पूरे मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया। उसने भारतीय जांच एजेंसी ED व CBI पर गंभीर आरोप लगाए।

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मिशेल ने दुबई की सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भारत में अगस्ता वेस्टलैंड मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है। उसे एक राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। भारत सरकार की जांच एजेंसी सीबीआइ उस पर दबाव बना रही है कि वह फर्जी तरीके से विपक्ष में बैठे यूपीए नेताओं का नाम ले। क्रिश्चियन को लग रहा था कि मामले का राजनीतिकरण करने से उसे प्रत्यर्पण से छूट मिल सकती है। हालांकि ऐसा नहीं हुआ।

इतना ही नहीं ब्रिटिश मूल के मिशेल ने खुद के बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि वह दुबई में बिजनेस करता है। दुबई की सुप्रीम कोर्ट में भारतीय जांच एजेंसियों ने बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल के खिलाफ इतने पुख्ता सुबुत रखे कि कोर्ट उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दुबई से भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी प्रदान कर दी थी। इससे पहले दुबई की निचली अदालत भी मिशेल की प्रत्यर्पण पर रोक संबंधी याचिका खारिज कर चुकी थी। मंगलवार को ही उसे दुबई से भारत लाया गया था।

57 वर्षीय मिशेल, फरवरी 2017 में गिरफ्तारी के बाद से दुबई की जेल में था। उसे यूएई में कानूनी और न्यायिक कार्यवाही के लंबित रहने तक हिरासत में रखा गया था। भारत ने 2017 में यूएई से क्रिश्चियन मिशेल को भारत प्रत्यर्पित करने की आधिकारिक अपील की थी।

225 करोड़ की रिश्वत लेने का है आरोप
क्रिश्चियन मिशेल पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वीवीआइपी हेलिकॉप्टर डील में अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से तकरीबन 225 करोड़ रुपये (30 मिलियन यूरो) की दलाली करने का आरोप लगाया है। उसने ये रकम अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष डील फाइनल कराने के लिए ली थी। मामले में ईडी व सीबीआइ दोनों जांच कर रही हैं। दोनों एजेंसियां जून 2016 में मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी हैं। साथ ही उन्होंने क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण के लिए दुबई सरकार व कोर्ट के समक्ष भी पुख्ता सुबुत पेश किए।

तीन बिचौलिए शामिल थे डील में
36,00 करोड़ रुपए की अगस्ता-वेस्टलैंड डील में क्रिश्चियन पर मनी लॉन्ड्रिंग, घूस लेने व देने और धोखाधड़ी करने का आरोप है। अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में मिशेल के साथ दो और बिचौलिये गुइदो हाश्के और कार्लो गेरेसा भी शामिल थे। ईडी व सीबीआइ ने इन दोनों आरोपियों के खिलाफ भी जांच की है। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने सह-आरोपियों के साथ मिलकर अगस्ता कंपनी को हेलिकॉप्टर का ठेका दिलाने के लिए आपराधिक षडयंत्र रचा था। इसके लिए सह आरोपियों को मोटी रिश्वत दी गई थी।

हेलिकॉप्टर के स्पेशिफिकेशन में किया था बदलाव
बिचौलिये तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, उनके परिवार के सदस्य, पीएमओ के अधिकारी, एसपीजी अधिकारी, सीवीसी और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क में थे। ईडी को जांच में पता चला था कि मिशेल ने अपनी दुबई की कंपनी ग्लोबल सर्विसेज के माध्यम से दिल्ली की एक कंपनी को शामिल कर अगस्ता वेस्टलैंड से रिश्वत ली थी। आरोप है कि तत्कालीन वायुसेना प्रमुख ने वीवीआइपी हेलिकॉप्टर के स्पेशिफिकेशन में कई तब्दीलियां की थीं, ताकि अगस्ता को इस रेस में शामिल किया जा सके।

2010 में अगस्ता वेस्टलैंड को मिला था ठेका
भारत सरकार ने आठ फरवरी, 2010 को रक्षा मंत्रालय के जरिए ब्रिटेन की अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड कंपनी को लगभग 55.62 करोड़ यूरो का ठेका दिया था। मिशेल 1980 के दशक से ही कंपनी के साथ काम कर रहा था और इससे पहले उसके पिता भी भारतीय क्षेत्र के लिए कंपनी के सलाहकार रह चुके थे। मिशेल अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर्स का सलाहकार बताया जाता है, जिसे हेलीकॉप्टर, सैन्य अड्डों और पायलटों की तकनीकी जानकारी थी।


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