मध्य प्रदेश में सत्ता संघर्ष के बीच बड़ी पैमाने पर तबादलों से अफरा-तफरी, भाजपा ने उठाए सवाल
मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच बड़े पैमाने पर हो रहे तबादलों से अफरा तफरी का आलम है। भाजपा ने इस तबादलों पर सवाल उठाए हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में पिछले दो हफ्ते से राजनीतिक उठापटक जारी है। भाजपा कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने का दावा कर रही है, लेकिन इसी दौरान राज्य में लगातार तबादलों का सिलसिला जारी है। पिछले दिनों आईएएस, राज्य प्रशासनिक और पुलिस सेवा के करीब 100 अधिकारियों के स्थानांतरण किए गए। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र गुना और ग्वालियर के कलेक्टर को बदलना और भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ. नरोत्तम मिश्रा के दामाद श्रीमन शुक्ला की पदस्थापना भी शामिल है। बड़ी संख्या में हो रहे तबादलों से अफरा-तफरी की स्थिति बन गई है।
इनके हुए तबादले
प्रदेश सरकार ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद गुना और ग्वालियर के कलेक्टर हटा दिए। शहडोल कलेक्टर ललित दाहिमा का तबादला कर दिया गया। वहीं, भाजपा नेता और वरिष्ठ विधायक डॉ.नरोत्तम मिश्रा के दामाद श्रीमन शुक्ला को महत्वपूर्ण माने जाने वाले राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) में प्रबंध संचालक बनाया है। सरकार 16 आईएएस, 32 राज्य प्रशासनिक सेवा और 40 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के तबादले बीते दस दिन में कर चुकी है। वहीं, पुलिस मुख्यालय ने 15 निरीक्षकों के तबादले किए हैं।
अभी तबादले नहीं चाहते अधिकारी
राजनीतिक घटनाक्रम के बीच हो रहे तबादलों से प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई है। दरअसल, इस मौके पर अधिकारी तबादले नहीं चाहते थे, क्योंकि सत्ता परिवर्तन होती है तो इसका असर उनके कॅरियर पर पड़ सकता है। हालांकि, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर इनका कहना है कि कुछ अधिकारी प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी गए हैं। इनके जाने की वजह से कामकाज प्रभावित न हो, इसलिए पदस्थापनाएं की गई हैं और यह पहले से प्रस्तावित थी।
भाजपा ने उठाए सवाल
भाजपा इन तबादलों पर सवाल उठा रही है। पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा ने भी सरकार के इस कदम को मौजूदा परिस्थितियों में गैर जरूरी करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने सियासी घटनाक्रम के बीच सरकार के तबादले करने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह सरकार तबादलों में ही व्यस्त है। पूरे समय तबादला उद्योग चलता रहा है।
अभी स्थानांतरण गैर जरूरी : शर्मा
उधर, पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि इस मौके पर तबादले करना गैरजरूरी है। इससे बचना चाहिए था। तबादले सरकार के स्तर से होते हैं और अधिकारी उसे क्रियान्वित करते हैं। बात चाहे राजनीतिक माहौल की हो या फिर कोरोना वायरस सहित अन्य चीज की, अभी पूरा जोर मैदानी स्तर पर प्रशासन पर दिया जाना चाहिए था। इसके लिए जो अधिकारी वहां पदस्थ थे, उन्हें कुछ समय और रखना था। नए अधिकारी पहुंचेंगे और चीजों को समझेंगे। इसमें समय भी लगता है।