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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले, संवैधानिक मूल्यों पर प्रहार के दौर से गुजर रहा है देश

सोनिया गांधी ने भी कहा कि मौजूदा समय में हमारे संवैधानिक मूल्यों पर लगातार निरंतर प्रहार हो रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 09:36 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 09:45 PM (IST)
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले, संवैधानिक मूल्यों पर प्रहार के दौर से गुजर रहा है देश
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले, संवैधानिक मूल्यों पर प्रहार के दौर से गुजर रहा है देश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि देश में जिस तरह असहिष्णुता, सांप्रदायिक विभेद और कानून हाथ में लेने वाले तत्वों के प्रभावी होने का खतरा बढ़ रहा है, उसमें सद्भावना पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। संवैधानिक मूल्यों को क्षति पहुंचाने वाले ऐसे तत्वों की प्रवृत्ति को रोककर ही देश की एकता और शांति को कायम रखा जा सकता है। संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कहा कि मौजूदा समय में हमारे संवैधानिक मूल्यों पर लगातार निरंतर प्रहार हो रहा है और सभी सही सोच वाली ताकतों को एकजुट होकर इसका विरोध करने की जरूरत है।

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कांग्रेस के इन दोनों दिग्गजों ने जवाहर भवन में 24वें राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार समारोह के दौरान यह बात कही। राजनयिक-नौकरशाह, लेखक और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी को वर्ष 2016-17 का राजीव सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि देश इस वक्त बेहद तकलीफदेह दौर से रूबरू हो रहा है। भीड़ का कानून हाथ में लेकर हिंसा करने और घृणा फैलाने वाले तत्व राष्ट्रीय हित का नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे माहौल में हमारे लिये यह विशिष्ट बात है कि गोपाल गांधी जैसी शख्सियत हैं जो देश के संवैधानिक ताने-बाने और मूल्यों पर प्रहार करने वाले तत्वों को सद्भावना व सच्चाई का आईना दिखाने से गुरेज नहीं करते।
उन्होंने कहा कि गोपाल गांधी जैसी शख्सियत यह कहने से नहीं हिचकती कि लोकप्रिय पदों पर बैठे लोगों को आंख बंद कर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी स्वीकार्यता से पहले उनकी राष्ट्रीय हित के लिए गहन पड़ताल की जानी चाहिए।

सोनिया गांधी ने राजीव गांधी की 74वीं जयंती पर उनकी स्मृतियों के साथ देश की राजनीति में उनके अमिट योगदानों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि राजीव का राजनीतिक जीवन बहुत छोटा रहा मगर इसी दौरान 21वीं सदी के भारत का रास्ता बनाने, युवाओं की मतदाता आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने, पंचायतराज व्यवस्था और महिलाओं को आरक्षण से लेकर बुनियादी जरूरतों को बेहतर करने की कई अहम योजनाओं से उन्होंने देश को नई दिशा दी।
गोपाल गांधी ने कहा कि राजीव के लिए सद्भावना कोई तरकीब नहीं थी बल्कि यह उनके नस्ल में थी। गांधी ने कहा राजनीति में विरोध और दुश्मनी तथा असहमति और देशद्रोह के फर्क को समझना होगा। उन्होंने कहा कि भले हिन्दुस्तान की आत्मा को कुछ समय के लिए बहलाया-फुसलाया जा सकता है पर उसकी सद्भावना की आत्मा कोई झुठला नहीं सकता। पुरस्कार चयन सलाहकार समिति के अध्यक्ष डा कर्ण सिंह और सदस्य मोतीलाल वोरा ने गोपाल गांधी को इस पुरस्कार के लिए सबसे बेहतर व्यक्ति करार दिया। राजीव सद्भावना पुरस्कार के तौर पर गांधी को 10 लाख रुपये नगद राशि, प्रशस्ति पत्र और शॉल प्रदान किया गया।


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