देश के किसानों की दशा और खेती की दुर्दशा के लिए मनमोहन सरकार दोषी: राधा मोहन
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने माना कि किसानों के लिए अभी बहुत करना बाकी है। कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर हमारा पूरा जोर है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में किसानों की दशा और खेती की दुर्दशा के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह पूर्ववर्ती संप्रग सरकार को दोषी ठहराते हैं। उन्होंने कहा कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार एक दशक तक कृषि क्षेत्र में अपेक्षित सुधार से बचती रही और 'उसके पाप का दंश देश का किसान अब तक भोग रहा है। केंद्र में राजग की सरकार बनते ही खेती व खेतिहर दोनों उसकी प्राथमिकता में आ गये, जिसका असर दिखा भी है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
कृषि मंत्री सिंह बृहस्पतिवार को यहां आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार को आडे़ हाथों लेते हुए सिंह ने कहा कि उस एक दशक में कृषि क्षेत्र को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। कृषि क्षेत्र में धेलाभर का निवेश नहीं किया गया।
सूक्ष्म सिंचाई व लंबित पड़ी सिंचाई परियोजनाएं चालू करने पर जोर
खेती के लिए सिंचाई जैसी मूलभूत सुविधा मुहैया नहीं कराई गईं। केंद्र सरकार की लापरवाही और उदासीनता के चलते देश की लगभग एक सौ सिंचाई परियोजनाएं आधा अधूरी बनकर बंद पड़ी थीं। उनका निर्माण पूरा कर चालू करने के लिए बहुत अधिक धन की जरूरत नहीं थी, फिर भी ध्यान नहीं दिया गया।
केंद्र में सत्ता संभालते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'हर खेत को पानी' और 'पर ड्राप मोर क्राप' का नारा ही नहीं दिया बल्कि उसे पूरा करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया। उसी का नतीजा है कि माइक्रो इरिगेशन पर पूरा जोर दिया गया। लंबित परियोजनाओं को चालू करने के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराया और सभी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए समय मुकर्रर किया गया।
कृषि मंत्री पूरे रौ में कांग्रेस नेतृत्व पर बरस रहे थे। उन्होंने कहा 'फसलों की सिंचाई और किसानों की हालत सुधारने की जगह वंशवाद की बेल को सींचा गया।'
राजग सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा कृषि क्षेत्र
सिंह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र मजबूत हो तो उसका मुकाबला कोई और क्षेत्र नहीं कर सकता है। देशभर में आठ लाख से अधिक प्राथमिक सहकारी सोसाइटियां हैं, जो किसानों को उनकी जरूरतों को वहीं पूरी करने में सक्षम हैं। लेकिन पिछली सरकार ने सहकारिता की पारदर्शिता को नष्ट कर दिया। नतीजा यह हुआ कि इनमें तमाम इकाइयां भ्रष्टाचार की पर्याय बन गईं। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर इन सोसाइटियों का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है, ताकि पारदर्शिता कायम की जा सके।
संप्रग सरकार के आखिरी पांच साल में कृषि मंत्रालय का बजट 1.21 लाख करोड़ था। जबकि राजग के पांच साल का बजट लगभग दोगुना यानी 2.11 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इससे सरकारों की किसानों व खेती के प्रति सोच और उनकी प्राथमिकता का पता चलता है।
कृषि मंत्री सिंह ने माना कि किसानों के लिए अभी बहुत करना बाकी है। कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर हमारा पूरा जोर है।