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ममता बनर्जी ने विपक्षी नेतृत्व की दौड़ में डटे होने का दिया संदेश

राहुल गांधी की ममता की पीएम दावेदारी पर दिखाये गए सकारात्मक संकेत के सवाल पर भी दीदी ने सियासी चतुराई दिखायी।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 09:51 PM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 08:17 AM (IST)
ममता बनर्जी ने विपक्षी नेतृत्व की दौड़ में डटे होने का दिया संदेश
ममता बनर्जी ने विपक्षी नेतृत्व की दौड़ में डटे होने का दिया संदेश

संजय मिश्र, नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने भले ही प्रधानमंत्री पद की ओर निगाहें नहीं लगे होने की बात भले कही हो मगर विपक्षी ही नहीं एनडीए के मित्र दलों के नेताओं से धुआंधार मुलाकातों के जरिये दीदी ने इस दौड़ में मजबूती से डटे होने का साफ संदेश देने में कोई गुरेज नहीं किया। कांग्रेसी दिग्गजों सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही नहीं विपक्ष खेमे के करीब दर्जन भर दलों के नेताओं से रूबरू हुई ममता बनर्जी ने भाजपा के सहयोगी शिवसेना नेता संजय राउत से मुलाकात कर 2019 की अपनी सियासी पेशबंदी को भी आगे बढ़ाया।

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सोनिया-राहुल से दस जनपथ पर हुई अपनी अहम मुलाकात के बाद ममता ने विपक्ष के पीएम उम्मीदवार होने के सवाल पर सीधे दावेदारी तो नहीं जताई। मगर रविंद्र नाथ टैगोर की बांग्ला की एक पंक्ति जिसका अर्थ यह है कि 'हम सब राजा हैं' के जरिये दीदी ने दावेदारी में खुद के शामिल होने का खुला संकेत दिया। राहुल गांधी की ममता की पीएम दावेदारी पर दिखाये गए सकारात्मक संकेत के सवाल पर भी दीदी ने सियासी चतुराई दिखायी।

टीएमसी प्रमुख ने कहा कि उनका मकसद सबसे पहले 2019 में भाजपा को सत्ता से बाहर करना है और नेतृत्व का मसला इसके बाद देखा जाएगा। दीदी के इस जवाब से साफ है कि वह इस दौड़ में खुद के शामिल होने को नकार नहीं रही हैं। इसी रणनीति के तहत टीएमसी प्रमुख ने विपक्षी दलों के एकजुट होने का दावा करते हुए यह भी कहा कि भाजपा इसे तोड़ने की कोशिश के तहत गंदी राजनीति कर रही है।

भाजपा के खिलाफ 2019 के चुनावी संग्राम में विपक्षी एकता का पताका थामने की यह सियासी कसरत ही है कि बुधवार को ममता ने संसद भवन के टीएमसी कार्यालय में विपक्षी खेमे में शामिल तमाम पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की। कांग्रेस नेता अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद सबसे पहले दीदी से मिलने पहुंचे। इनसे हुई गहन राजनीतिक चर्चा के बाद सपा के रामगोपाल यादव, केरल कांग्रेस के जोश के मणि, द्रमुक के त्रिची शिवा, राजद की मीसा भारती व जयप्रकाश यादव आदि ने मुलाकात की। इतना ही नहीं भाजपा से कुछ महीने पहले नाता तोड़ने वाले टीडीपी के नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस के नेता भी दीदी से रूबरू होने पहुंचे। मगर शिवसेना नेता संजय राउत ने उनसे मुलाकात कर सियासी गलियारे में सरगर्मी बढ़ा दी।

संसद भवन पहुंचने के बाद ममता ने सबसे पहले भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से उनके कक्ष में जाकर मुलाकात कर सेहत पूछी तो केंद्रीय कक्ष में अन्नाद्रमुक नेता डिप्टी स्पीकर थंबी दुरई से रूबरू हुई। भाजपा के असंतुष्ट नेता कीर्ति आजाद ने भी दीदी से मुलाकात की।

विपक्षी दलों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की इसी कसरत में ममता ने जनता दल सेक्यूलर नेता पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के यहां जाकर उनसे चर्चा की। इसके बाद शाम को सोनिया और राहुल से मिलने दीदी दस जनपथ पहुंची। कांग्रेस नेतृत्व से मुलाकात के बाद ममता ने कहा कि अगले चुनाव को लेकर राजनीतिक चर्चा के अलावा एनआरसी के मुद्दे पर भी बातचीत हुई। विपक्षी दलों के बीच गठबंधन के सवाल पर दीदी ने कहा कि राज्यों के स्तर पर जो दल जहां मजबूत होंगे उसी हिसाब से तालमेल होगा।


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