महाराष्ट्र में कैसे चलेगी 'महा विकास अघाड़ी' की गाड़ी, NPR व CAA समेत कई मुद्दों पर है रार
महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर सरकार तो बना लिया लेकिन तीनों दलों में कई मुद्दों को लेकर मतभेद साफ दिखाई दे रहा है।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर सरकार तो बना लिया, लेकिन तीनों दलों में कई मुद्दों को लेकर मतभेद साफ दिखाई दे रहा है। नवंबर के अंत में बनी सरकार में भीमा कोरेगांव मामले, नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर ( एनपीआर) समेत कई ऐसे मुद्दों पर रार देखने को मिला। इसके चलते ऐसा लग रहा है कि 'महा विकास अघाड़ी' की राह आगे भी काफी मुश्किल होने वाली है। आइए नजर डालते हैं अभी तक के मतभेदों पर ...!
NPR पर छीड़ी बहस
नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA),राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC)और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR)का कांग्रेस और एनसीपी विरोध कर रही हैं। वहीं उद्धव ठाकरे ने पिछले दिनों इसे लेकर कहा कि सीएए और एनआरसी अलग हैं। इससे किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा था कि वे एनपीआर पर रोक नहीं लगाएंगे। इसमें कुछ भी विवादित नहीं है। उन्होंने कहा था कि राज्य में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा। इसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि यह उद्धव का नजरिया हो सकता है। जहां तक हमारा सवाल है हमने इसके खिलाफ वोट किया था। उन्होंने आगे कहा था कि राज्य में गठबंधन की सरकार है। पार्टियों के विचार में अंतर हो सकता है, लेकिन जहां तक फैसला लेने का सवाल है, तो तीनों पार्टियां बैठकर किसी मुद्दे पर फैसला लेंगी। बता दें कि पिछले साल दिसंबर में संसद के शीतकालीन शत्र के दौरान लोकसभा में सीएए के पक्ष में वोट दिया था, वहीं राज्यसभा में उसने वॉकआउट कर दिया था।
भीमा कोरेगांव मामला
महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले की जांच केंद्र सरकार को सौंपने के इच्छुक थी। वह चाहती थी कि इस मामले की जांच एनआइए करे, लेकिन दबाव के कारण बाद में उसे झुकना पड़ा। पवार ने उद्धव ठाकरे के इस फैसले के खिलाफ सार्वजनिक तौर नाखुशी जाहिर की। इसके बाद ठाकरे को अपना फैसला बदलना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह मामला दलितों के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसे में हम इसकी जांच केंद्र को नहीं करने देंगे। यलगार परिषद केस और भीमा कोरेगांव अलग-अलग हैं। एनआइए केवल यलगार परिषद केस की जांच करेगी, भीमा कोरेगांव मामले की नहीं।
इंदिरा गांधी पर संजय राउत का बयान
पिछले महीने शिवसेना के प्रमुख नेता संजय राउत ने कहा था कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी मुंबई में अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलती थीं। राउत के इस बायन पर काफी हंगामा मचा। शिवसेना ने इस बयान से किनारा कर लिया था। पार्टी ने सफाई देते हुए कहा था कि यह उनका निजी बयान है। पार्टी के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि हमें इतिहास पर नहीं, बल्कि वर्तमान के मुद्दों पर चर्चा करना चाहिए। बाद में राउत को इस बयान को वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि नेहरू और इंदिरा के लिए उनके भीतर हमेशा से सम्मान रहा है। राउत ने कहा था कि इंदिरा, करीम लाला से मिलने के लिए पायधुनी आती थीं। बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि करीम लाला पठानों के नेता थे। इसलिए इंदिरा उनसे मिलने आती थीं।
इंदिरा गांधी को लेकर जीतेंद्र अव्हाड और अशोक चह्वाण भिड़े
पिछले महीने बीड जनपद में सीएए के विरोध में एक रैली को संबोधित करते हुए एनसीपी के नेता जीतेंद्र अव्हाड ने आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की आलोचना की थी। अशोक चह्वाण ने इसे लेकर कहा था कि उनकी पार्टी के नेताओं का अपमान करनेवालों को उचित जवाब दिया जाएगा। अव्हाड ने कहा था कि इंदिरा ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की थी। बाद में उन्हें इसे लेकर सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरह से पेश किया गया।
सावरकर पर रार
वीर सावरकर को लेकर गठबंधन में कई बार रार देखने को मिला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली की एक रैली में कहा, 'मेरा नाम राहुल गांधी है, राहुल सावरकर नहीं'। शिवसेना ने इस बयान को लेकर कांग्रेस की आलोचना की। राउत ने इसे लेकर कहा कि सावरकर न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए महान हैं। उनका किसी को अपमान नहीं करना चाहिए। हम भी गांधी नेहरू का सम्मान करते हैं। यहीं नहीं सावरकर को भारत रत्न देने का कांग्रेस द्वारा विरोध करने पर राउत ने कहा कि सावरकर का विरोध करने वाले को अंडमान निकोबार की सेलुलर जेल में डाल देने चाहिए,तब उन्हें उनके बलिदान के बारे में एहसास होगा।
सावरकर को लेकर पुस्तक पर मचा संग्राम
भोपाल में कांग्रेस सेवादल के कार्यक्रम में वीर सावरकर पर पुस्तक बांटी गई। इसमें सावरकर और महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के रिश्ते को लेकर आपत्तिजनक बातें कही गईं। इसे लेकर भी कांग्रेस और शिवसेना में तकरार देखने मिला। शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस के दिमाग में कचरा जमा है। एनसीपी ने भी इसे लेकर कांग्रेस की आलोचना की थी। एनसीपी ने कहा था कि किसी पर इस तरह किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। खासकर जब वह जिंदा न हो। कांग्रेस को यह बुकलेट वापस ले लेनी चाहिए।