Maharashtra Politics: संकट से शक्ति परीक्षण तक दोहराया गया कर्नाटक, फडणवीस का इस्तीफा
Maharashtra Politics महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर इन दिनों ठीक वैसी ही स्थिति है जैसी पिछले साल कर्नाटक में थी। फ्लोर ट्सेट से पहले फडणवीस ने भी दे दिया इस्तीफा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चले आ रहे गतिरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है। एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि महाराष्ट्र में कल (बुधवार, 27 नवंबर 2019) को शक्ति परीक्षण होना था। बहुमत के लिए भाजपा को 145 का जादुई नंबर चाहिए, लेकिन बिना किसी बड़ी जोड़-तोड़ के ऐसा होना मुमकिन नहीं था। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि क्या देवेंद्र फडणवीस कर्नाटक में अपने समकक्ष बीएस येदियुरप्पा की राह पर चलेंगे, जिन्होंने बहुमत न जुटा पाने के बाद फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। आज शाम 3.30 बजे देवेंद्र फडणवीस ने भी मीडिया से मुखातिब होकर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के लिए बुधवार को शाम पांच बजे तक का समय निर्धारित किया गया। इस दौरान किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका को खत्म करने और पारदर्शिता बरतने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का लाइव टेलीकास्ट करने का भी आदेश दिया था।
इसके साथ ही कर्नाटक में सरकार गठन की यादें भी ताजा हो गईं। शुरू से महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रहे गतिरोध, राजनीतिक संकट और फिर अचानक से मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के शपथ लेने के पूरे घटनाक्रम की तुलना कर्नाटक में पिछले वर्ष मई, 2018 में सरकार गठन की प्रक्रिया से की जा रही थी।
कर्नाटक जैसी है महाराष्ट्र की स्थिति
पिछले वर्ष कर्नाटक में भी सरकार गठन से पहले केजी बोपैया को विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के खिलाफ, राज्य में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। केजी बोपैया को राज्यपाल वजुभाई वाला ने प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया था। कांग्रेस-जेडीएस ने उस वक्त भी राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी थी। तब भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। इस बार भी एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस ने महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाकर सरकार बनवाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कर्नाटक की तरह ही इस बार भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के निर्णय पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कर्नाटक की तर्ज पर ही सुप्रीम कोर्ट ने इस बार भी फ्लोर टेस्ट कराने की समयसीमा निर्धारित करते हुए उसका लाइव टेलीकास्ट कराने का भी आदेश दिया है।
कांग्रेस ने कर्नाटक में वापस ले ली थी याचिका
कर्नाटक में कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने के लिए याचिका दायर की थी। याचिका में कांग्रेस-जेडीएस ने राज्यपाल द्वारा केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के फैसले पर सवाल उठाया था। उस वक्त प्रोटेम स्पीकर ने ही फ्लोर टेस्ट का लाइव टेलीकास्ट कराने की बात कही थी। वर्तमान चीफ जस्टिस एसए बोबडे, ने ही उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर कांग्रेस-जेडीएस की याचिका की सुनवाई की थी। तब उन्होंने सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर आप प्रोटेम स्पीकर के निर्णय पर सवाल उठाएंगे तो हमें उनको नोटिस जारी करना होगा। ऐसे में फ्लोर टेस्ट को भी टालना पड़ेगा, क्योंकि पहले उनकी नियुक्ति की जांच करानी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस-जेडीएस ने ये कहते हुए याचिका वापस ले ली थी कि फ्लोर टेस्ट का लाइव टेलीकास्ट हो रहा है, इसलिए उन्हें कोई संदेह नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र में अब तक प्रोटेम स्पीकर नहीं चुना गया है, इसलिए बुधवार को फ्लोर टेस्ट होने से पहले प्रोटेम स्पीकर का चुनाव होगा।
फ्लोर टेस्ट से पहले सीएम ने दे दिया था इस्तीफा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 19 मई 2018 को कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट होना था। तब भाजपा की राज्य सरकार ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था और इससे पहले ही बीएस येदियुरप्पा ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था। इसके बाद राज्यपाल वजुभाई वाला ने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। दोनों दलों की गठबंधन सरकार में जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी ने बाद में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार महज ढाई दिन तक चली थी। महाराष्ट्र में भी भाजपा की नई सरकार को बुधवार को 5वें दिन फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ेगा। एक बार फिर स्थिति कर्नाटक जैसी ही है, लेकिन बुधवार को ये देखना दिलचस्प होगा कि परिणाम भी वही रहता है या देवेंद्र फडणवीस बहुमत साबित करने में कामयाब होते हैं।
महाराष्ट्र के लिए अगले 24 घंटे बेहद अहम
कर्नाटक के परिणाम और जोड़तोड़ की आशंका को देखते हुए महाराष्ट्र की राजनीतिक के लिए अगले 24 घंटे बेहद अहम साबित होने जा रहे हैं। चूंकि भाजपा-अजीत पवार के भरोसे बहुमत के आंकड़े का दावा कर रही है। उधर एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस के गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने भी मंगलवार शाम मुंबई के पांच सितारा होटल हयात में विधायकों की मीडिया के सामने संयुक्त रूप से परेड कराई थी। महाविकास अघाड़ी के नेता भी दावा कर रहे हैं कि उनके पास 162 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में बहुमत का आंकड़ा 145 का है।
किसमें कितना है दम
भाजपा के पास 105, शिवसेना के पास 56, एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधानसभा सीटें हैं। इसके अलावा एक विधानसभा सीट मनसे के पास, जबकि 28 विधानसभा सीटें अन्य के खाते में है। ऐसे में भाजपा को बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए कम से कम 40 विधायकों की जरूरत है। उधर अजीत पवार अगर पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर भाजपा को समर्थन देते हैं, तो उन्हें दल-बदल विरोधी कानून से बचने के लिए कम से कम पार्टी के दो तिहाई विधायकों, मतलब 36 विधायकों की आवश्यकता होगी। ऐसे में अगले 24 घंटे महाराष्ट्र की राजनीति के लिए बेहद अहम साबित होने जा रहे हैं।