सिंधिया के भाजपा में एक साल : पार्टी में लंबी पारी के लिए सधे कदमों से आगे बढ़ रहे ज्योतिरादित्य
ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में आए सालभर हो चुका है। इन 365 दिनों में सिंधिया को जानने वाले और नहीं जानने वालों ने जो सबसे खास बात उनके व्यक्तित्व में देखी... वह है उनका लगातार जमीनी होते जाना। पढ़ें यह रिपोर्ट...
वीरेंद्र तिवारी, ग्वालियर। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में आए सालभर हो चुका है। इन 365 दिनों में सिंधिया को जानने वालों ने जो सबसे खास बात उनके व्यक्तित्व में देखी... वह है उनका लगातार 'जमीनी' होते जाना। सिंधिया आमजन से मिल रहे हैं, लोगों के घर जा रहे हैं... उन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो वह अपने उस राजशाही आवरण को उतारकर फेंक देना चाहते हैं जो उनको विरासत में मिला था।
बन रही सकारात्मक छवि
यह व्यक्तित्व परिवर्तन भले ही ज्योतिरादित्य के भाजपा संगठन की रीति-नीति में ढलने की पहली शर्त हो लेकिन बदलते परिवेश में खुद उनके लिए भी एक जननेता बनने के लिए ऐसा करना जरूरी है। उनके इस बदलाव से जहां आमजन में उनकी एक सकारात्मक छवि बन रही है। वहीं भाजपा कांग्रेस के उन लोगों को भी झूठा साबित कर रही है जो कहते थे कि कांग्रेस के 'महाराज' भाजपा के 'भैया' कभी नहीं बन सकते।
शिवराज से अच्छी ट्यूनिंग
फिलहाल मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से उनकी अच्छी ट्यूनिंग अब तक के उनके सफर को सफल ही बना रही है। हालांकि एक साल बाद भी सिंधिया को मोदी टीम में शामिल नहीं करने का सवाल उनके समर्थकों को न सिर्फ असहज करता है बल्कि उनके धैर्य की परीक्षा भी लेता दिख रहा है।
भाजपा में लंबी होगी पारी
पिछले एक साल में खुद को भाजपा में संगठन स्तर पर मजबूत करने के लिए सिंधिया ने जिस ढंग से कोशिश की है। वह उनकी लंबी पारी का संकेत है। खुद सिंधिया ने कहा था कि अब मरते दम तक भाजपा का रहूंगा। अपने शब्दों को वे साबित भी कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर कार्यालय से लेकर मध्य प्रदेश में संघ के विभिन्न पदाधिकारियों से मेलजोल बढ़ाना, भाजपा में खुद के धुर विरोधियों से सामंजस्य बैठाना, न सिर्फ उन्हें एक परिपक्व नेता के रूप में प्रदर्शित कर रहा है बल्कि संगठन में भी उनकी पैठ बढ़ा रहा है।