मध्यप्रदेश में कांग्रेस का बड़ा दांवः ओबीसी को 27 और सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण
उन्होंने किसानों की सभा में सामान्य वर्ग को 10 फीसद और पिछड़ा वर्ग को 14 से बढ़ाकर 27 फीसद आरक्षण देने की घोषणा कर दोनों वर्गो को साधने की कोशिश की है।
नईदुनिया, भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के ठीक पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बड़ा दांव खेला है। उन्होंने किसानों की सभा में सामान्य वर्ग को 10 फीसद और पिछड़ा वर्ग को 14 से बढ़ाकर 27 फीसद आरक्षण देने की घोषणा कर दोनों वर्गो को साधने की कोशिश की है। सियासी हलकों में इसे कांग्रेस सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को सागर में आयोजित जय किसान ऋ ण माफी योजना के प्रमाण पत्र वितरण समारोह में एलान किया है कि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के युवाओं व छात्र-छात्रओं को 27 प्रतिशत और सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण देने की मांग लंबे समय से उठ रही है। इस मांग को लेकर हर साल धरना और प्रदर्शन भी होते थे। इस मुद्दे पर पिछले एक साल से अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग भी पिछड़ा वर्ग के साथ हो गया था। अजाक्स (अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ) ने भी विधानसभा चुनाव से पहले अपने मंच से यह मांग उठाई थी। हालांकि, तब तत्कालीन सरकार का एससी-एसटी वर्ग पर ही फोकस रहा।
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा पर सपाक्स का कहना है कि सरकार चाहकर भी इसे पूरा नहीं कर सकती है, क्योंकि ऐसा करना संविधान के विरुद्ध होगा। उल्लेखनीय है कि रामजी महाजन आयोग ने वर्ष 1998 में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण देने की सिफारिश की थी, लेकिन इसके खिलाफ लोग अदालत चले गए और यह सिफारिश आज तक पूरी नहीं हो सकी। प्रदेश में वर्तमान में अनुसूचित जाति को 16, जनजाति को 20 और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है। इस तरह तीनों वर्गो को मिलाकर 50 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है।
सरकार ने कहा है तो लागू होगा
राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल का कहना है कि सरकार की घोषणा है तो जरूर पूरी होगी। वे कहते हैं कि संविधान में 50 फीसद से ज्यादा आरक्षण देने को लेकर कोई बैरियर नहीं है। राज्यों को संबंधित वर्ग की जनसंख्या के मान से फैसला लेने का अधिकार है।
पूर्व मुख्य सचिव बोले - संभव नहीं है
प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण देना संभव नहीं है। वे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की व्याख्या करते हुए 50 फीसद से अधिक आरक्षण पर रोक लगाई है। सामान्य वर्ग को लेकर केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर दिया है, इसलिए उसे 10 फीसद आरक्षण दिया जा सकता है।
यह चुनावी शिगूफा
सपाक्ससपाक्स के संस्थापक सदस्य एके जैन कहते हैं कि यह चुनावी शिगूफा है, जबकि अजाक्स के विजय शंकर श्रवण कहते हैं कि सरकार अपनी घोषणा पूरी कर सकती है। उसमें किसी तरह की संवैधानिक दिक्कत नहीं है।