मदनी ने कहा- अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय सम्मत नहीं
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने यह जगह उन्हीं लोगों को दे दी जिन्होंने मस्जिद तोड़ी। यह एक विशेष वर्ग के खिलाफ भेदभाव है जिसकी बिल्कुल आशा नहीं थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमति जताते हुए इसे सच्चाई और सुबूतों को उपेक्षित करने वाला बताया है। रविवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि फैसला न्याय सम्मत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला भेदभावपूर्ण है
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने एक तरफ तो अयोध्या में विवादित ढाचे के अंदर मूर्ति रखने और फिर उसे तोड़ने को गलत ठहराया है, वहीं, यह जगह उन्हीं लोगों को दे दी जिन्होंने मस्जिद तोड़ी। यह एक विशेष वर्ग के खिलाफ भेदभाव है जिसकी बिल्कुल आशा नहीं थी।
फैसले से अल्पसंख्यकों का डगमगा रहा विश्वास
मदनी ने अपने बयान में कहा कि इस फैसले से न्यायालय पर अल्पसंख्यकों का विश्वास डगमगा रहा है। उनके साथ अन्याय हुआ है। यह सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह संविधान की हिमायत करे और संविधान में दर्ज मुसलमानों की धार्मिक इबादत और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए फैसला करे, जिसमें विवादित ढाचे में भी इबादत का हक शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुसलमानों के लिए धैर्य की घड़ी है
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला और वर्तमान परिस्थितियां मुसलमानों और देश के दूसरे न्यायप्रिय लोगों के लिए वास्तव में परीक्षा और धैर्य की घड़ी है। इसलिए आवश्यक है कि हम धैर्य और सहनशीलता के साथ स्थितियों का मुकाबला करें।