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विपक्ष के कड़े विरोध के बाद लोकसभा में सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को मिली मंजूरी

लोकसभा में विपक्ष के कड़े विरोध के बाद सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 बिल पास कर दिया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 06:56 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 06:56 PM (IST)
विपक्ष के कड़े विरोध के बाद लोकसभा में सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को मिली मंजूरी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक सोमवार को लोकसभा में पारित हो गया। यह विधेयक केंद्र एवं राज्य स्तर पर सूचना आयुक्तों के वेतन एवं सेवा शर्तो का निर्धारण करने के लिए केंद्र सरकार को शक्ति देता है। विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस संशोधन के जरिए इस कानून को कमजोर बना रही है। सरकार ने पिछले साल भी सूचना का अधिकार कानून में संशोधन की कोशिश की थी लेकिन विपक्ष के विरोध के चलते वह इस पर आगे नहीं बढ़ सकी थी।

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संशोधित बिल में कहा गया है कि केंद्र और राज्यों के मुख्य सूचना आयुक्तों एवं सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्तें केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे। वहीं मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है।

सरकार ने संशोधन को सही ठहराते हुए कहा कि वो RTI अधिनियम को संस्थागत स्वरूप प्रदान करना चाहती है, साथ ही इसे व्यवस्थित बनाना चाहती है। इससे RTI का ढ़ांचा संपूर्ण रूप से मजबूत होगा।

सरकार की ओर से मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में RTI अधिनियम अफरा-तफरी में बना लिया गया। उसके लिए न तो नियमावली बनाई गई और न ही अधिनियम में भविष्य में नियम बनाने का अधिकार रखा गया। मौजूदा कानून में कई विसंगतियां हैं जिनमें सुधार की जरूरत है।

सरकार का तर्क था कि मुख्य सूचना आयुक्त को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष माना जाता है, लेकिन उनके फैसले पर उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। सरकार ने कहा कि मूल कानून बनाते समय उसके लिए कानून नहीं बनाया गया था, इसलिए सरकार को यह विधेयक लाना पड़ा।

वहीं, कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि मसौदा विधेयक केंद्रीय सूचना आयोग की स्वतंत्रता को खतरा पैदा करने वाला है। इस विधेयक के जरिए सरकार सूचना के अधिकार का हनन करने की कोशिश कर रही है। अभी मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच साल का होता है। इस विधेयक के जरिए उनका कार्यकाल तय करने का अधिकार सरकार को मिल जाएगा। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की।


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