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कश्मीरी पंडितों को मोदी में दिखी नई उम्मीद, 86 फीसद विस्थापितों ने किया भाजपा के पक्ष में मतदान

तीन दशक से अपने ही देश में विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडितों को प्रधानमंत्री मोदी के रूप में नई उम्मीद दिखी है। यही कारण है कि 86 फीसद कश्मीरी पंडितों ने भाजपा को वोट दिया।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 11:18 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 11:18 PM (IST)
कश्मीरी पंडितों को मोदी में दिखी नई उम्मीद, 86 फीसद विस्थापितों ने किया भाजपा के पक्ष में मतदान
कश्मीरी पंडितों को मोदी में दिखी नई उम्मीद, 86 फीसद विस्थापितों ने किया भाजपा के पक्ष में मतदान

राज्य ब्यूरो, जम्मू। Lok Sabha Election 2019, तीन दशक से अपने ही देश में विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडितों को प्रधानमंत्री मोदी के रूप में नई उम्मीद दिखी है। यही कारण है कि 86 फीसद कश्मीरी पंडितों ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को समर्थन दिया है। भले ही यह समर्थन कश्मीर में पार्टी को विजय की राह पर नहीं ला पाया पर इसके बूते भाजपा घाटी में उपस्थिति दिखाने में कामयाब रही।

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23 मई को घोषित परिणाम में भाजपा जम्मू संभाग की दोनों और लद्दाख की एक सीट पर विजयी रही थी। घाटी की तीनों सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस विजयी रही। देश के विभिन्न हिस्सों में बसने वाले कश्मीरी विस्थापितों में से काफी अपने शहरों में बने मतदान केंद्रों से वोट करते हैं। उनके लिए जम्मू, ऊधमपुर समेत अन्य शहरों में 26 मतदान केंद्र भी बनाए गए थे। इन केंद्रों पर कश्मीरी विस्थापित मतदाता अपने मूल क्षेत्र के लिए मतदान कर सकते थे।

इस वर्ष तीनों सीटों के लिए 13,537 कश्मीरी पंडित मतदाताओं ने मतदान किया और इनमें से 11,648 ने भाजपा को वोट दिया। यह आंकड़ा लगभग 86 फीसद बनता है। इसकी बदौलत ही वादी में भाजपा तीनों सीटों पर 22,750 वोट प्राप्त करने में सफल रही। पार्टी को कश्मीर घाटी में मिले कुल मतों के आधे से अधिक विस्थापित कश्मीरी पंडितों के ही हैं। दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग सीट पर आतंकियों की धमकियों और अलगाववादियों के बहिष्कार के बीच कुल 1.24 लाख लोग वोट डालने पहुंचे थे।

इनमें से 8,166 विस्थापित कश्मीरी पंडित थे। अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में फैले इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी सोफी युसुफ को 10225 वोट मिले। इनमें से 70 फीसद (7251) विस्थापित मतदाताओं के हैं। इसे भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 8.19 फीसद हो गया, जबकि 2014 में यह मात्र 1.26 फीसद था। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती इसी सीट पर चुनाव मैदान में थीं और हार गईं। मात्र 40180 वोट हासिल करने वाले नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी जीत दर्ज करने में सफल रहे।

श्रीनगर सीट पर भाजपा के खालिद जहांगीर को 4,631 वोट मिले और उसमें से 2594 विस्थापित कश्मीरी पंडितों के वोट हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला को 1,06,456 वोट मिले पर मात्र 140 कश्मीरी पंडितों ने उन्हें वोट किया। इस सीट पर भी भाजपा वोट शेयर 2014 के 1.43 फीसद से बढ़कर 2.48 फीसद हो गया है।

बारामुला-कुपवाड़ा सीट के लिए 2,532 विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने वोट डाले और उनमें से 1813 ने भाजपा उम्मीदवार मोहम्मद मकबूल वार को वोट दिया। सच्जाद गनी लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस के उम्मीदवार राजा एजाज अली को 575 विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने वोट दिया। यहां नेकां के मोहम्मद अकबर लोन ने जीत दर्ज की। उन्हें 1,32,919 वोट मिले जबकि भाजपा के मोहम्मद मकबूल को 7,894 वोट मिले। 2014 में भाजपा ने यहां से 6,558 वोट हासिल किए थे।

आसान बनानी होगी विस्थापितों के पंजीकरण की प्रक्रिया

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ अनिल भट्ट के मुताबिक पहली बार कश्मीरी विस्थापित मतदाताओं ने एकतरफा मतदान किया है। यह बदलाव खास संकेत देता है। अगर देश के विभिन्न हिस्सों में बसे कश्मीरी पंडित मतदान में हिस्सा लें तो वह कश्मीर में किसी भी दल का भाग्य बदलने की स्थिति में आ जाएंगे। पर चुनाव आयोग को विस्थापितों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाना होगा। इस समय करीब दो लाख विस्थापित कश्मीरी पंडित पूरे देश में हैं। इनमें से करीब एक लाख ही कश्मीर में पंजीकृत हैं। उनमें से भी च्यादातर लंबी औपचारिकताओं के कारण पंजीकरण नहीं करा पाए।

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