राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन मामले में विशेषज्ञों से राय लेगी लोकसभा समिति, BJP सांसद ने की है शिकायत
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। इस नोटिस की जांच कर रही समिति पिछले मामलों और पूर्व निर्णयों का विस्तार से अध्ययन करेगी।
नई दिल्ली, एएनआई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन नोटिस की जांच कर रही लोकसभा की विशेषाधिकार समिति मामले की गंभीरता समझते हुए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। समिति अब इस मामले में विशेषज्ञों से राय लेगी। भाजपा सांसद सुनील सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति में के. सुरेश (कांग्रेस), टीआर बालू (डीएमके) और कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस) सहित कई विपक्षी सदस्य शामिल हैं। सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार समिति पिछले मामलों और पूर्व निर्णयों का विस्तार से अध्ययन करेगी। जरूरत पड़ने पर कानूनी राय भी ली जाएगी।
प्रधानमंत्री पर निराधार आरोपों पर कार्रवाई की मांग
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने समिति से मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए राहुल गांधी की सदन सदस्यता समाप्त कर दी जानी चाहिए। दुबे का कहना है कि राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर होने वाली बहस में कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री पर अनर्गल और निराधार आरोप लगाए। उनके अनुसार, राहुल गांधी पर तीन तरह के विशेषाधिकार हनन लागू होते हैं। उन्होंने नियम 352 (2) का हवाला दिया जिसके अनुसार कोई संसद सदस्य किसी साथी सांसद पर पूर्व सूचना देकर ही टिप्पणी कर सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, दुबे ने कहा है कि पीएम मोदी पर टिप्पणी करके राहुल गांधी ने इसका उल्लंघन किया है। दुबे ने 1976 में सुब्रमण्यम स्वामी के राज्यसभा से निष्कासन का भी हवाला दिया।
कांग्रेस नेता पर सदन को गुमराह करने का आरोप
दुबे ने कहा कि राहुल गांधी के भाषण के कुछ हिस्से सदन की कार्यवाही से हटा दिए गए लेकिन कांग्रेस नेता और पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल पर हटाए गए भाषण और ट्वीट उपलब्ध थे। इससे अध्यक्ष के अधिकार कमजोर होते हैं। दुबे ने 8 फरवरी को लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर राहुल गांधी पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया था। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी लोकसभा अध्यक्ष से ऐसी ही शिकायत की है।
अपने पत्र में दुबे ने आगे कहा कि राहुल गांधी ने सदन में बयान दिया कि वह इस बारे में दस्तावेजी साक्ष्य देंगे लेकिन अपने बयान के समर्थन में उन्होंने कोई विधिवत प्रमाणित दस्तावेज जमा नहीं किया है। इस तरह उन्होंने सदन को गुमराह किया है।