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दलित एजेंडे पर सबसे आगे खड़ी दिखना चाहती है राजग सहयोगी लोजपा

लोजपा एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस गोयल की बर्खास्तगी को लेकर सरकार पर दबाव बना रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 06:55 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2018 06:55 PM (IST)
दलित एजेंडे पर सबसे आगे खड़ी दिखना चाहती है राजग सहयोगी लोजपा
दलित एजेंडे पर सबसे आगे खड़ी दिखना चाहती है राजग सहयोगी लोजपा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजग सहयोगी लोजपा संतुलन बनाकर चल रही है। एक तरफ जहां एससी एसटी एक्ट के लिए अध्यादेश लाने और एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस गोयल की बर्खास्तगी को लेकर सरकार पर दबाव बना रही है। वहीं यह भी सुनिश्चित करने में जुटी है कि पूरे मुद्दे पर केवल राजग और उसके सहयोगी ही सबसे आगे खड़े दिखें। इसी क्रम में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी जवाब मांगा कि जस्टिस गोयल की नियुक्ति को लेकर वह क्यों चुप हैं।

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पिछले कुछ दिनों से लोजपा मुखर है। यहां तक कि अध्यादेश की मांग के साथ दलित संगठनों के उस प्रदर्शन में भी लोजपा की दलित सेना हिस्सा ही नहीं लेगी बल्कि आगाह करने से भी नहीं चूकी कि यह आंदोलन अप्रैल के हिंसक आंदोलन से भी ज्यादा गंभीर होगा।

जाहिर तौर पर लोजपा के इस मुखर रूप को बिहार में राजग सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे से पहले दबाव के रूप में देखा जा रहा है। बल्कि इसे राजग और महागठबंधन को लेकर लोजपा के संशय के रूप में भी देखा जा रहा है।

ऐसे में लोजपा सांसद चिराग पासवान ने सोमवार को पूरी सतर्कता के साथ विपक्ष को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि एनजीटी अध्यक्ष को हटाने की मांग का जदयू, रालोसपा व अन्य राजग सहयोगियों ने भी समर्थन किया है, लेकिन कांग्रेस व दूसरे विपक्षी दलों का रुख स्पष्ट नहीं है।

दो दिन पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जस्टिस गोयल को हटाने की माग की थी, लेकिन कांग्रेस के ही नेता अश्विनी कुमार ने इसे गलत बताया है। ऐसे में राहुल को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी राय क्या है।

बसपा सुप्रीमो मायावती को भी घेरते हुए उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में भी उत्तर प्रदेश में एससी एसटी एक्ट कमजोर किया गया था। उनके आदेश पर वहीं किया गया था जो अब सुप्रीम कोर्ट ने किया है। चिराग ने मोदी सरकार के काल में ही दलित विकास के लिए किए गए कार्यो का हवाला देते हुए कहा कि एसटी एसटी एक्ट को कमजोर करने का फैसला जस्टिस गोयल ने ही दिया था और उन्हें एनजीटी अध्यक्ष बनाने से गलत संदेश गया है। इसमें सुधार करना चाहिए। उन्होंने भरोसा जताया कि सरकार समाज के व्यापक हित में यह फैसला लेगी।


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