किसानों का मुंबई तक पैदल मार्च राज्य सरकार के चेहरे पर गहरा तमाचा- शिवसेना
सरकार अब हमेशा किसानों के द्वारा पड़े इस तमाचे को याद रखेगी। इसके बाद भविष्य में किसी को भी मजदूरों और किसानों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने की हिम्मत नहीं होगी।
मुंबई (प्रेट्र)। किसानों ने महाराष्ट्र सरकार को अपने वादे पूरे करने का अंतिम मौका दिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में ये बातें कही है। सामना में आगे लिखा गया है कि मुंबई तक किसानों का ये मार्च भाजपा नेतृत्व वाली राज्य सरकार के चेहरे पर एक तमाचा है। ज्ञात हो कि विपक्ष और सहयोगी गठबंधन शिवसेना के तरफ से मिल रहे दबावों के बाद राज्य सरकार ने कल प्रदर्शनकारी किसानों की कर्ज माफी सहित सभी मांगे स्वीकार कर ली है।
शिवसेना ने आगे कहा कि किसानों की तरफ से सरकार को ये एक गहरा झटका है। सरकार के पास किसानों की मांगें मानने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था। राज्य की फड़णवीस सरकार पर तीखा व्यंग्य करते हुए कहा कि वे सभी जो सरकार में बैठे हुए किसानों के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रह थे वे भी अचानक से उनकी समस्या को लेकर संवेदनशील हो गए। इसके अलावा वे जो कभी किसानों के गुस्से को अनसुना कर देते थे वे भी उनकी मांगों को अब सकारात्मक रुप में ले रहे हैं। किसानों के प्रदर्शन का प्रभाव सरकार पर ऐसा पड़ा कि सरकार को लिखित रुप में देना पड़ा कि उनकी सभी मांगें स्वीकार की जाती हैं।
सरकार अब हमेशा किसानों के द्वारा पड़े इस तमाचे को याद रखेगी। इसके बाद भविष्य में किसी को भी मजदूरों और किसानों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने की हिम्मत नहीं होगी। सरकार पर तीखा हमला करते हुए सेना ने कहा कि जो कि छत्रपति शिवाजी के नाम पर सत्ता में आए थे, उन्होंने पिछले साढ़े तीन साल में केवल घोषणाएं की है और लोगों को न्याय के लिए सैकड़ों किलोमीटर तक चलने के लिए मजबूर कर दिया।
बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक से 35,000 से ज्यादा किसान अपनी मांगे लेकर 180 किमी की पैदल यात्रा कर मुंबई पहुंचे। वे अपने हाथों में लाल झंडे लिए शांति पूर्वक प्रदर्शन करते हुए मुंबई की सड़कों तक पहुंचे। वे अपने साथ सीपीआइ (एम) के अखिल भारतीय किसान सभा के झंडे के साथ यहां आए। वन भूमि और पूर्ण कर्ज माफी के अपने अधिकारों की मांगे प्रमुख थी। बताया जाता है कि वरिष्ठ राज्य मंत्रियों- चंद्रकांत पाटिल, गिरीश महाजन और एकनाथ शिंदे ने कल दक्षिण मुंबई में आजाद मैदान में किसानों से मुलाकात की जहां सरकार ने उनकी सभी मांगों को स्वीकार करने का अपना फैसला सुनाया।